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રરૂ૭ राज हंसारे, काढ अनादिनी भुख ॥ अहो० ॥ नव परिभ्रमण भमतु ॥ राज० ॥ अवसर पामी न चुक ॥ अहो० ॥२॥ शत शाखाथी शोभतो ॥ राज०॥ पांच हजार पचास ॥ अहोराजहंसारे, आंबिल फुले अलंकयौ ॥ राज०॥ अक्षय पद फल तास ।। अहो. ॥३॥ विमलेसर सुर शांतिये ॥ राज०॥ तु निर्भय थयो आज ।। अहो ॥ कृत कृत्य थई मागतुं ॥राज०॥ अकल स्वरूपी राज ॥ अहो ॥४॥ विग्रह गति वोसरावीने ॥ राज० ॥ लोकाग्रे करवास ॥ अहो० ॥ धन्य तुं कृत्य पुण्य तुं ॥राज०॥ सिद्ध स्वरुप प्रकाश ॥ अहो०॥ ५॥ तप चिंतामणी काउसगे ॥राज ॥ वीर तपो धन ध्यान ॥ अहो० ॥ महासेन कृष्णा साधवी ॥ राज० ॥ श्रीचंद जवजल नाव ।। अहो० ॥ ॥६॥ सूरिश्री जगचंद्रजी ॥राज० ॥ हीरविजय गुरु हीर ॥ अहो. मल्लवादी प्रभु कुरगडु ॥ राज०॥ आ. चार्य सुहस्ती वीर ॥ अहो०॥७॥ पारंगत तपजलधिना ॥ राज० ॥ जे जे थया अणगार ॥ अहो० ॥ जीत्या जीह्वा स्वादने ॥राज०॥ धन्य धन्य तस
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