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ए सिद्धचक्र आराधतां पुरे वंछित कोड ॥ सुमतिविजय कविरायनो, राम कहे करजोम ॥ ६ ॥ इति ॥ ॥ अथ सर्व जिनतुं चैत्यवंदन ॥
॥ सीमंधर प्रमुख नमुं, विहरमान जिन वीश ॥ ऋषभादिक वली वंदीये, संपइ जिन चोवशि ॥ १ ॥ सिद्धाचल गिरनार आबु, अष्टापद वला सार ॥ समेतशिखर ए पंच तीरथ, पंचम गति दातार ॥ २ ॥ उर्ध्व लोकें जिनवर नमुं, ते चोरासी लाख ॥ सहल सत्ताणुं उपरें, वीस जिनवर भांख ॥ ३ ॥ एकशो बावन कोड वली, लाख चोराणुं सार ॥ सहस चुमालीस सातशे, शाठ जिन पडिमा उदार ||४|| अधोलोकें जिनजवन नमुं, सात कोड बहोंतेर लाख ॥ तेरशें कोम नेव्यासी कोम, शाठ लाख चित राख ॥ ||५|| व्यतंर ज्योतिषमां वली, ए जिनभुवन अपार ॥ ते भवि नित वंदन करो, जेम पामो भवपार ॥ ६ ॥ तीच्छे लोके शाश्वतां, श्री जिनभुवन विशाल ॥ वत्रीने ओगणसाठ, बंदु थइ उजमाल ॥ ७ ॥ लाख त्रण एकाणुं सहस, व्रणशें वीश मनोहार | जिन प
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