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॥ ढाल ॥ नेमनाथ नित्य वंदो बावीसमारे, वंदोरे नेमनाथ राजेमतिरे ॥ संवत सोल सत साठ संघ सहु सांभलोरे ॥पोसमास सुद बीज गुरुरे ॥ स्तंभ नयर माहे जिन थुण्योरे ॥
कलश। इयनेमि जिनवर, पुण्य दिनकर,सकल गुण मणि सागरो । जस नाम जपतां कर्म खपीए, छुटीए भव आगरो ॥ तपगढ मुनिवर सकल सुखकर श्री विजयसेन सूरीसरो ॥ तस तणो श्रावक ऋषभ बोले, थुण्यो नेमि जिणेसरो ॥ इति श्री नेमनाथ स्तवन संपूर्ण ॥ ॥ श्रीमहावीरस्वामी- पंचकल्याणकनुं त्रण ढाळनुं स्तवन ।।
॥दुहा ॥ शासन नायक शिवकरण, वदुंबीर जिणंद ॥ पंच कल्याणक जेहना, गाशुं धरी आणंद ॥१॥ सुणतां थुणतांप्रभु तणा, गुण गीरुआ एकवार ॥ रूछि वृद्धि सुख संपदा, सफल हुए अवतार ॥२॥
॥ ढाल ॥ १ बापडी सुण जीभलडी ॥ ए देशी ॥
॥सांभळज्यो सस्नेही सयणां, प्रभुनां चरित्र उहासे ॥ जे सांभळशे प्रभु गुण जेहना, समकित
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