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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२५ ॥ ढाल ॥ नेमनाथ नित्य वंदो बावीसमारे, वंदोरे नेमनाथ राजेमतिरे ॥ संवत सोल सत साठ संघ सहु सांभलोरे ॥पोसमास सुद बीज गुरुरे ॥ स्तंभ नयर माहे जिन थुण्योरे ॥ कलश। इयनेमि जिनवर, पुण्य दिनकर,सकल गुण मणि सागरो । जस नाम जपतां कर्म खपीए, छुटीए भव आगरो ॥ तपगढ मुनिवर सकल सुखकर श्री विजयसेन सूरीसरो ॥ तस तणो श्रावक ऋषभ बोले, थुण्यो नेमि जिणेसरो ॥ इति श्री नेमनाथ स्तवन संपूर्ण ॥ ॥ श्रीमहावीरस्वामी- पंचकल्याणकनुं त्रण ढाळनुं स्तवन ।। ॥दुहा ॥ शासन नायक शिवकरण, वदुंबीर जिणंद ॥ पंच कल्याणक जेहना, गाशुं धरी आणंद ॥१॥ सुणतां थुणतांप्रभु तणा, गुण गीरुआ एकवार ॥ रूछि वृद्धि सुख संपदा, सफल हुए अवतार ॥२॥ ॥ ढाल ॥ १ बापडी सुण जीभलडी ॥ ए देशी ॥ ॥सांभळज्यो सस्नेही सयणां, प्रभुनां चरित्र उहासे ॥ जे सांभळशे प्रभु गुण जेहना, समकित For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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