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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१८ नेम कुंमारनुं धुए, बदन एक चीर जई लुहे ॥ देवर मारा सुंदर सार, परणो नारी नेम कुमार ॥३॥ भोला देवर करो विचार, नारी विना कुण करसे सार ॥ भोयण सुयण फोफल पान, नारी विना कूण देशे मान ॥ ४ ॥ नारी विना नर हाली होय, बार परुणो नावे कोय ॥ साधु साधवी श्रावक सोय, भक्ति करे जो स्त्री घर होय ॥ ५॥ नेम कहे सुणो भाभी वात, ए पीछं हुं सवि अवदात ॥ नारी मोहे जे नर पड्या, साते नरके ते रडवड्या ॥६॥ ए नारी नव केहनी होय, तु पण हृदय विचारी जोय ॥ सुरनर किंनर दानव जेह, नारी आप्या तेहने छेह ॥ ७॥ भोज मुज पर देशी जेह, शब्द विडंब्या नारी तेह ॥ दीक धनने जिम नारी नड्यो, राय भर्तृहरि इम रडवडयो ॥८॥ ब्रह्मराय घर चुलणी जेह, पोते पुत्र मरावे तेह ॥ गौतम ऋषिनी अहल्या नार, इंद्र भोगवे भुवन मझार ॥९॥ ए नारीनो जुओ विचार, जोतां कांइ नव दीसे सार॥ समज्या ते नर मुकी गया, नवि समज्या ते खुची रह्या ।। १० ॥ अकल गई नरनी वली एम, जिहांथी For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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