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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org C Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Acha २१४ सुत पांचसेरे, पुत्री सातसें जाण ॥ दिक्षा लीये जिवजी कनेरे, वैरागे मन आण ॥ चतुरनर० ॥ ३ ॥ पुंडरीक प्रमुख थयारे, चोरासी गणधार ॥ सहस चोरासी तिम मलीरे, साधु तणो परिवार ॥ चतुरनर० । ४ ॥ ब्राह्मी प्रमुख वली साहुणीरे, त्रण लाख सुविचार ॥ पांच सहस त्रण लाख भलारे, श्रावक समकित् धार ॥ ॥ चतुरनर० ॥ ५ ॥ चोपन सह पंच लाख कहीरे, श्राविका शुद्ध आचार ॥ इम चउविह संघ थापीनेरे, ऋषभ करे विहार ॥ चतुर०॥६॥ चारित्र एक लख पूर्वनुरे, पाल्युं ऋषभ जिणंद ॥ धर्म तणे उपदेशथीरे, तार्या भविजन वृंद ॥ चतुरनर० ॥७॥ मोक्ष समय जाणी करीरे, अष्टापद गिरि आव ॥ साधु सहसदशसुं तिहारे, अणसण कीधुं भाव ।। चतुरनर०॥८॥महावदी तेरस दीनेरे, आभि नक्षत्र चंद्र योग ॥ मुक्ति पहोत्या ऋषभजीरे, अनंत सुख संजोग ॥चतुरनर०॥९॥ ॥ ढाल ॥ ६ ॥ राग धन्याश्री ॥ कडखानो ॥ ए देशी ॥ ॥तुं जयो तुं जयो ऋषभ जिन तुं जयो, अलजयो हुँ तुम दरसन करवा ॥ मेहेर करो घणी, विनवू For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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