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|| श्री रोहिणी तप विधि स्तवन. ॥
|| दुहा ॥ सुखकर शंखेश्वर नमी, शुभगुरुने आधार ॥ रोहिणी तप महिमा विधि कहिशृं भवि उपगार ॥ १ ॥ भक्त पान कुच्छित दिए, मुनिने जाण अजाण ॥ नरक तीर्थचमां जीवते, पामे बहु दुःख खाण ॥ २ ॥ ते पण रोहिणी तप थकी, पामी सुख संसार || मोक्षे गया तेहनो कहुं, सुंदर ए अधिकार ॥
|| ढाल ॥ १ ॥ शीतलजिन सहेजानंदी || ए देशी || ॥ मघवा नगरी करी झंपा, अरिवर्ग थकी नहि कंपा, आरंभे पुरी छे चंपा, राम सीता सरोवर पंपा ॥ १ ॥ पनोता प्रेमथी तप कीजे, गुरुपांसे तप उन्चरोजे ॥ ए आंकणी ॥ वासुपूज्यना पुत्र कहाय, मघवा नामे तिहा राय, तस लक्ष्मीवती के राणी, आठ पुत्र उपर एक जाणी ॥ प० ॥ २ ॥ रोहिणी नामे थई बेटी, नृप वल्लभसुं थई मोटी, यौवन वयमां जब आवे, तब वरनी चिंता थावे || १० || ३ || स्वयंवर मंडप मंडावे, दूरथी राजपुत्र मिलारे, रोहिणी शणगार धरावी, जाएं चंद्र प्रिया इहां आवी ॥ प० ॥ ४ ॥
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