SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 206
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९२ || श्री रोहिणी तप विधि स्तवन. ॥ || दुहा ॥ सुखकर शंखेश्वर नमी, शुभगुरुने आधार ॥ रोहिणी तप महिमा विधि कहिशृं भवि उपगार ॥ १ ॥ भक्त पान कुच्छित दिए, मुनिने जाण अजाण ॥ नरक तीर्थचमां जीवते, पामे बहु दुःख खाण ॥ २ ॥ ते पण रोहिणी तप थकी, पामी सुख संसार || मोक्षे गया तेहनो कहुं, सुंदर ए अधिकार ॥ || ढाल ॥ १ ॥ शीतलजिन सहेजानंदी || ए देशी || ॥ मघवा नगरी करी झंपा, अरिवर्ग थकी नहि कंपा, आरंभे पुरी छे चंपा, राम सीता सरोवर पंपा ॥ १ ॥ पनोता प्रेमथी तप कीजे, गुरुपांसे तप उन्चरोजे ॥ ए आंकणी ॥ वासुपूज्यना पुत्र कहाय, मघवा नामे तिहा राय, तस लक्ष्मीवती के राणी, आठ पुत्र उपर एक जाणी ॥ प० ॥ २ ॥ रोहिणी नामे थई बेटी, नृप वल्लभसुं थई मोटी, यौवन वयमां जब आवे, तब वरनी चिंता थावे || १० || ३ || स्वयंवर मंडप मंडावे, दूरथी राजपुत्र मिलारे, रोहिणी शणगार धरावी, जाएं चंद्र प्रिया इहां आवी ॥ प० ॥ ४ ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy