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Achar
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मुनिवर लाख अगीयार ॥ ते उपर अधिका कहुं, मुनिवर सोल हजार कहे०॥४॥जैन भूपति जगमा हशे, करशे धर्म उद्धार ॥ लाख अगीआरने उपरे, संख्या सोल हजार ॥५॥ वीर पछी गौतम जशे, बारे वरसे मोक्ष ॥ वीसे सिद्धिगते सुधर्मा, प्रणमी पातिक शोष ॥ कहे० ॥६॥
॥ दुहा ॥ वीर थकी वरस चोसटे, मुक्ति जंबु स्वामि ॥ जंबु जाते सही जशे,दसवानां तस गम॥१॥ ॥ ढाल ॥ २ ॥ राग आशावरी काननी वजावे वांसली॥ए देशी ॥
॥ मन पर्यव त्यारे नहींरे, परम अवधि ज्ञान । पुलाक लब्धि आहारक तनुरे, क्षपक श्रेणी निधान ॥१॥ उपशम श्रेणी जिन कल्पगुंरे, संजम त्रिण जाय ॥ केवलज्ञान नवमुं लहेरे, तव मोक्ष पलाय ।। २ ॥ वीर कहे वरस मुज पछीरे, चिउत्तरे थाय ॥ प्रभव स्वामी जीजे पाटेरे, परलोके जे जाय ॥ ३ ॥ शय्यंभवसूरि मुनिवरुरे, जे चोथे पाटे थाय ॥ बीरथी वरस अटाणुएरे, लहे शुभ गति वाट ॥ ४॥ वीरथी वरस गयां घणारे, एकसो अडताल, यशोभद्र सुरलोकमारे,
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