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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ढाल ॥ २ ॥ राग परजीओ ॥ मनोहरजीनी ए देशी ॥ ॥ पछी वली गौतम चोथे आरे, हुआ तेत्रीस जिणंदो ॥ एकादश चक्रवर्ती तिहां हुआ, त्रीजे भरत नरिंदोरे ॥ १ ॥ गौतम सांजलोरे, दीन दीन पडतो काल ॥ ए आंकणी ॥ क्रोध लोभ मद मत्सर वधशे, दे अणहुतां आल ॥ गौ० ॥ दीन०॥२॥ चक्री आठ गया नर मुक्ति, बे चक्री सुर मोटा ॥ सुभूमराय ब्रह्मदत्त गया नरके, पुन्यकाज हुआ खोटा ॥ गौ०॥ दीन० ॥३॥ वासुदेव नव निश्चय हुआ. नरक तणी लही वाटयो, ॥ जे भूपति संग्राम करंता, त्रिण सयांने साठयो ॥ गौ० ॥ दीन०॥४॥ इह प्रति वासुदेव नव नीका, नवि छंडे धन नारी ॥ वासुदेव तणे करे मारे, ते नरक तणा अधिकारी ॥ गौ० ॥ दीनः ॥५॥ नव बलदेव हुआ इणे आरे, नव नारद ते मोटा ॥ सुरगति मुक्ति तणा भजनारा, शियल वज़ कछोटा ॥ गौ०॥ दीन० ॥६॥ ॥ दुहा ॥ गौतम अंत्ये हूं हवो, तव काया कर सात ॥ मुज शासनमांहे जेह, हशे ते भाखो वाता॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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