________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१६१ ॥ परवश मन माणस तणुजी, तृण जेम पुंठे धायरे ॥प्रा०॥४॥ नियति वश विण चिंतव्युजी, आवि मले तत काल ॥ वरसा सोनुं चिंतव्युंजी, नियति करे विसरालरे ॥ प्रा०॥५॥ ब्रह्मदत्त चक्री तणांजी, नयन हणे गोवाल ॥ दोय सहस्स जस देवताजी, देहतणा रखवालरे ॥ प्रा०॥६॥ कोहो कोयल करेजी, केम राखी शके प्राण ॥ आहेडी शर ताकीयोजी, उपर भमे सींचाणरे ॥प्रा०॥७॥ आहेडी नागे डश्योजी, बाण लाग्यो सिंचाण ॥ कोकुहो उडी गयोजी, जुओ जुओ नियति प्रमाणरे ॥ प्रा०॥ ८॥ उडी शस्त्र हण्यां संग्राममांजी, राने पड्या जीवंत ॥ मंदिरमाथी मानवीजी, राख्याही न रहंतरे ॥प्रा०॥९॥ इति भवितव्यता वाद।।
॥ ढाल ॥४॥ राग मारुणा मनोहर हीरजीरे ॥
॥काल स्वभाव नियत मति कुंडी, कर्म करे ते थाय ॥ कर्म निरय तिरिय नर सुरगतिजी, जीव जवांतरे जाय ॥ चेतन चेतीयरे कर्म सभो नहीं काय ॥चेतन० ॥१॥ ए आंकणी ॥ कर्मे राम वस्या वनवासे, सीतापामे आल ॥ कमें लंकापति रावणर्नु, राज
For Private And Personal Use Only