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Achai
कर्पुरविजय गुरु रायथीरे लोल, लहीये भवजल पाररे ॥ सुगावा॥९॥ इति श्री प्रथम गुण स्थानक भास ॥ ॥ ढाल ॥ ४ ॥ कपुर होवे अति उजलुरे ॥ ए देशी ॥
॥ बीजु गुण ठाणुं सुणोरे, सास्वादन तस नाम ॥ समकित वमन पछी हुवेरे, जेहथी न सरे कामरे ॥ साजन छंडोए परिणाम | जिम लहो गुण अभिरामरे ॥ सा० ॥१॥ नारय त्रिक जाति चउरे, थावर चउहूंड संस्थान॥आतप नपुंसक बेवहरे, मिहत्त ए सोल मानरे ॥सा०॥ २ ॥ एकसो एक पयडी तणोरे, बंधन एणे गुण ठाण ॥ सूक्ष्म त्रिक आतप वलीरे, मिथ्यात्व पंच वखाणरे । सा० ॥ ३ ॥ नरकनी अनुपूर्वी रे, एकसो अगीआर प्रमाण ॥ उदय कह्यो पयडी तणोरे, उदीरणा तिम जाणरे ॥ सा०॥ ४ ॥ सत्ताए एकशत उपरेरे, पयडी सडतालीस ॥ जिननाम कर्म तणी तिहां रे, न कही सत्ता जगदीशरे || सा० ॥ ५॥ सास्वादन गुण ठाणा तणोरे, अर्थ कह्यो लव लेश, मणिविजय बुध एम कहेरे, सुणजो छांडी क्लेशरे ॥ ॥ सा ॥६॥ इति द्वितीय गुण स्थानक भास ॥
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