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Achar
नारे, तो सवि दुख विसरालरे ॥ प्रा०॥ ४॥ सावध जोग सवी परिहरोरे, ए सामायिक रूप ॥ हुआ ए परिणामथीरे, सिक अनंत अरूपरे ॥ प्रा०॥५॥
॥ ढाल ॥२॥ साहेलडोनी ॥ ए देशी ।। ॥ आदीश्वर आराहीये साहेलडीरे, अजित भजो नगवंत तो ॥ संभवनाथ सोहामणा ॥ सा०॥ अभिनंदन अरिहंततो ॥१॥ सुमति पद्मप्रभ पुजीए॥ ॥सा०॥ समरु स्वामी सुपाश्रतो ॥ चंद्रप्रभ चित्त धारीए ॥ सा०॥ सुविधि सुविधि ऋद्धि वासतो ॥ ॥२॥ शीतल भूतल दिनमणि ॥ सा० ॥ श्री पुरण श्रेयांसतो ॥ वासुपूज्य सुर पूजीआ॥ सा०॥ विमल विमल जस होततो ॥३॥ करुं अनंत उपासना ॥ ॥ सा०॥ धर्म धर्म धुर धार तो ॥ शांति कुंथु अर मल्लि नमु ॥ सा० ॥ मुनिसुव्रत वडवीर तो ॥४॥ चरण नमुनमीनाथना ॥ सा०॥ ने मश्वर करुं ध्यान तो ॥ पार्श्वनाथ प्रनु पूजीए ॥ सा०॥ वंदु श्री वर्द्धमान तो ॥ ५॥ ए चोवीसे जिनवरा ॥ सा० ॥ त्रिजुवन करण उद्योततो ॥ मुक्ति पंथ जेणे दाखव्यो ।
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