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प्रणमे वासव वृंदरे ॥ भविका० ॥१॥ ए आंकणी अगीआरस दिन मोटकोजी, जे दिन पांच कल्याण ॥ मनि जन्मवत केवलीजी, अर व्रत नमी जिन नाणरे ॥ भविका० ॥२॥ जन्म्या संभव चौदशेजी, पुनमे वली व्रत लीध ॥ वदी दशमीथी चौदश लगेजी, ला. गट छे प्रसिद्धरे ॥ भविका० ॥३॥ पार्श्व जन्म वली व्रत लीयोजी, चन्द्रजन्म व्रत सार ॥ शीतल केवल पामीयाजी, हवे पोस सुदी अवधाररे ॥ भविका० ॥ ॥४॥ विमल केवली बडे दिनेजी नवमी ए शांतिने नांण ॥ अजित नाण अगीआरसेजी, लोकालोक सु. जाणरे ॥ भविका० ॥५॥ चौदसे केवल उपनोजी, अभिनंदन जिण भाण ॥धर्म केवली पुनिमेजी, हवे वदीनुं मंडाणरे ॥ भवि० ॥६॥ छटे पद्म च्यवन भकुंजी, बारसने दिन दोय होय॥ शितल जन्म मुनि थयाजी, तेरसे ऋषभ शिव होयरे ॥ भविकाज ॥७॥ अमावास्या दिन पामीयाजी, श्रेयांस केवलनाण ॥ जिन उत्तम पद पद्मनेजी, प्रणमो भविक सुजाणरे ॥ ॥ भविका ॥८॥
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