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(३१५) श्रेणिक राजान चंपानगरीनोराजीयोजो श्रीपाल नाम सुजाण जा से ॥ २३ ॥ जंबर रोगे पीमीयोजी परणि राजकुमार उजयणीमा जूहारियाजी रीषनेश्वर मनुहार न से० ॥२४॥ मुनिचंगुरु उपदेशश्रीजी आराध्यो सिद्धचक्र रोगगयो बलिसुख लह्योजी संपदा पामी जिमशक्र न से० ॥ २५ ॥ नव पद उलीआंबिलतणीजी नवराणीने साथ उजमणो पूरण डुवांजी करि खरच्यो घणो आथ न से० ॥ २६ ॥ नवपमिमादेरासरुजी नव जीरणजधार पहिलो पद आराधियोजी नव पूजा मनुहार न० से० ॥ २७ ॥ श्म नव पद विस्तारयीजी पूजी लह्यो सुखसार आयु पूरण करि ध्यानयीजी नवमे स्वर्ग अवतार ना से० ॥ २७ ॥ श्म श्रीपालना नव थकी जी नवमे लव सहुसार निरुपम शिव सुख पामसेजी कहे गौतम गणधार ज से० ॥ २५॥ श्रेणिक सुणि हरखित थयो जी प्रनुजीना वांद्या पाय । वीरजिनेसर श्म लणे जी सुण श्रेणिक नरराय न० स० ॥ ३० ॥ एक एक पद आराधतांजी केई पाम्या नव अंत नव पद ते निज आतमाजी ध्याता ध्येय लहंत न से० ॥ ३१॥ तीर्थकर पद पामस्येजी तुं इण जरत मकार श्म सांजलि नृप आनंदियोजी निज घर पोतो सुखकार ज से ॥३२॥ कलश ॥ श्म वीर जिनवर जुवन दिनयर नव पद महिमा वरणव्यो सुरत वंदर रहि चोमासो सिपचक गुण गण स्तव्यो संवत उंगणीसै पचोत्तर आश्विनशुदि सातमदिने, जिनकृपाचंजसूरि पनणे वतॊ मंगल
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