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(३११) बीज आउम कही। सु० ॥ जिन कल्याणक जाण ॥ वा ॥ एकादशी इम जाणियै ॥ सु० ॥ पर्वाधिक मन आण ॥ वा० ॥६॥ मगसर सुदि एकादशी ॥ सु० ॥ पर्वमाहि श्रीकार ॥ वा ॥ अरनाथ दीदा ग्रही ॥ सु०॥ पाम्या नवनोपार ॥ वा ॥ ७ ॥ मसि जन्म संजमलियो । सु० ॥ पाम्यो केवलज्ञान ॥ वा ॥ नमि नाथने ऊपनो ॥ सु० ॥ केवल नाण प्रधान ॥ वा ॥७॥ पांचकल्याणक अतिनला ॥ सु० ॥ थया इण जरत मझार ॥ वा०॥ तिमहिज एरवतखेत्रमा ॥सु॥ नाखे जगदाधार ॥ वा ॥ ए॥ पांच जरत ऐरवतवलि ॥ सु० ॥ पांच कट्याणक जाण ॥ वा० ॥ दशखेत्रना श्म जाणियै ॥ सु० ॥ पांचकल्याणक आण ॥ वा० ॥ १० ॥ तीनकाल गिणतां अकां ॥ सु० ॥ दोढसै कल्याणक पाय ॥ वा०॥ तिश्रीमांहि सिरोमणि ॥ सु० ॥ ग्यारस सुखदाय ॥वा॥११॥ अनंतकट्याणक इण परे ॥ सु० ॥ अनंत चोवीसी जोय ॥वागा मौनकरी आराधिये ॥ सु० ॥ एहश्री सिवसुख होय वाला ॥ १५ ॥ चोविहार उपवासथी ॥ सु० ॥ पोसह करिने सार ॥ वा० ॥ सुगुरु चरण सेविकरी ॥ सु०॥ काजसग्ग दिलधार ॥ वा० ॥ १३ ॥ मोनकरी मद्विनाथजी ॥ सु० ॥ एकदिवस सुखकार ॥ वा ॥ मौन प्रथा इण परि श्रश् ॥ सु ॥ लह्यो केवल श्रीकार ॥ वा ॥ १४ ॥ ( ढाल बीजी) माता त्रिशला मुलावे पुत्र पालणे ॥ ए देशी सुखकर देवनिरंजन नेमजिनंद श्म उपदिसे ॥ ए आंकमी ॥ नविजन नावधरिने सांजले श्री जिनवाण । अमीरस वयणे श्रवणअंजलीजरपीवतां एतो जाय
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