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(ए) रायकं ॥ प्र० ॥ ७॥ कपूर पूर कस्सतूर कुंकुमा तुरंग ए। अरग्गजा अथग्गमें रहे गरक अंगए । अह गेह मुत्ति देह सबही सुहायकं ॥ प्र० ॥७॥ मृदंग दो दो दों दप्प मप्प वजाये । न फेर र जहरी नीसाण मेघ गऊए । तटकतांन थेई
ई खक्ख सुक्ख दायकं ॥ प्र० ॥ ए ॥ बुहा ॥ करि केहरि २ दव ३ कुचाहि ४ रामि ५ समुद्दह ६रोग ७ अतिबंधण जय अटले । सांम नांम संयोग ॥ १०॥ बंद. नुजंगी ॥ हुंरित्त गको फुकंतो फुकोला । लपक्कै विलग्गीयली माल लोला । वलेटे वलाकावली सुंम दोखा करे निकरा जेम मई कपोला ॥ ११ ॥ पहुचालतो जाण पाहामतोला । फलकै ललकावतो लाख मोला । इसौ दूर पूर्व पता अकोला । जपंतां करे नांचिनी मात चौला ॥ १२॥ इति हस्तिजयनिवारणं ॥ महा सदसीहं अबीहं अदं नरे फाल आफालतो पुच कुंमं । किंगै फाम माचौ वमं वङ मुंमं । महातिरकनक्खं रखे रोख में ॥ १३ ॥ फुरकावतो मुंउ फामंत तु । ललकंत लोला विक विहंमं । धणी पासचौनाम ध्यानं धरंमं । टले श्याल ज्युं सीह होए अहं ॥ १४ ॥ इति सिंघ जय निवारणं ॥ जलां जंगलांमै जटा जूट जाला । घणां काम उजाममै अग्गकाला । बहु मिग्ग वग्गं पशु पंखिवाला । बलंता कमेमा चिमा जंति जाला ॥ १५॥ धुषै धूम लग्गो कीया नग्गकाला ऊलो काल रूखै टड्या नांहि टाला । वमे संकटे एण आयां विचाला । प्रनु नाम नीरे बुकै तत्तकाला ॥ १६ ॥ इति अग्निजय निवारणं ॥ कलकाल रूपि महा विकरालं । फणा टोप रोपै महा कोप
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