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(२७७) शिर राखमी ॥ मि० ॥६॥ मौन पणें रह्या श्रीमलिनाथ । एक दिवस संयमव्रत साथ ॥ मौन तणी परिवत श्म पमी ॥ मि०॥७॥ अग्पुहरी पोसो लीजियें। चोविहार विधि शुं । कीजियें ॥ पण परमादन कीजें घमी ॥ मि० ॥॥ वरस श्यारे कीजें उपवास । जाव जीव पण अधिक उहहास ॥ ए तिथी मोद तणी पावमी ॥ मि० ॥ ए॥ जजमणुं कीजें श्रीकार । ज्ञानना उपगरण इग्यारे ग्यार ॥ करो काउसग्ग गुरु पाये पमी ॥ मि० ॥१०॥ देहरे स्नात्र करीजें वली। पोथी पूजीजें मन रखी। मुगति पुरी कीजें हुकमी ॥ मि० ॥ ११॥ मौन ग्यारस महोटुं पर्व । श्राराध्यां सुख लहिये सर्व ॥ व्रतपच्चरकाण करो आंखमी ॥ मि० ॥ १२ ॥ जेशल सोल इक्यासीसमें । कीधुं स्तवन सहूमनगमे ॥ समय सुंदर कहे करो ध्यावनी ॥ मि ॥ १३ ॥ इति एकादशी वृद्ध स्तवन संपूर्णम् ॥
॥ अथ पंचमी वृद्धस्तवनं लिख्यते ॥ प्रणमु श्रीगुरुपाय । निर्मल ज्ञान उपाय ॥ पंचमी तप लएं ए । जन्म सफल गिणुं ए॥१॥चोवीसमो जिनचंद । केवल ज्ञान दिणंद ॥ त्रिगमे गह गह्यो ए। लवियणने कह्यो ए॥२॥ ज्ञान वमो संसार । ज्ञान मुगति दातार ॥ ज्ञान दीवो कह्यो ए साचो सर्दयो ए॥३॥ ज्ञान लोचन सुविलास । लोका लोक प्रकाश ॥ ज्ञान विना पशु ए। नर जाणे किशुं ए॥॥अधिक
आराधक जाण । जगवतीसूत्र प्रमाण ॥ ज्ञानी सर्वतु ए। किरिया देशतु ए ॥ ५॥ ज्ञानी श्वासोश्वास । करम करे जे नास ॥
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