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( ११ )
विद्रुम हिंगुल वलि हरियाल । मणसिल पारो सुवरण आदि धातु नीहाल । सेढी बन्नी अरोटो पलेवो पाखाए । जोकल तुरी श्रो भूमि पाहण जे खाए ॥ २ ॥ सुरमो लूंए जात ए पुढवी काय विछेद | जूमि आकास यस हिम करग चाऊना जेद । हरित घास ऊपर जे जलकण धूंदर तेम । होय घणो दधि
प्प काय पण पाहण जेम ॥ ३ ॥ अंगारा काला जोजर तिम उलकापात । अणि कणगविद्युतादिक अगनजीव विज्ञात | उन्नामग उकलिका मंगल वलि मुहवात । शुद्ध गुंज तिम घण तणु वाऊ नेदें ज्ञात ॥ ४ ॥ साधारण पत्तेय वण-रसइ जीव उत्नेय । एग सरीर अनंतजीव साधारण नेय । कंदा अंकुर कुंपल फूल वलि सेवाल । मुंफोमा हत्तिय सरवे जे फल वाल ॥ ९ ॥ गाजर मोथ वथवो थेग पालंको साग । गुपत सिरा सांधा गांवां जाजे सम जाग । काटी माल जुंमिमें रोप्यां पलव थाय । जाल पान इत्यादिक साधारणवण काय ॥ ६ ॥ एग सरीरें एग जीव जे ते प्रत्येक । फूल बाल फल मूल काठ बीजे जिय एक । वण पन्तेय विना जे पांचे पुढवी काय । सयल लोगमें व्यापक अंत मूहर्त्ते श्राय ॥ 9 ॥ सूखमथी ते नियमा दिर्घा निजर न होय । लोका लोक प्रकाश की वलि अलप न कोय । कवमी संख गंगोला लहिगा लटनी जात ।
कालसी मेहर जोका विज्ञात ॥ ८ ॥ माय बाहा कृम पौरादिक बेडी होय । गोमी माकण जुना कीमा कीमी दोय । दीपक ईली घीवेली गोंगींका जात। चरम जुका गादहिया गोबर कृम उतपात ॥ ए ॥ धान कीमा जिम चोरकीमा गोवाली.
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