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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir [ २४५ ] बुरी बातोंकी होशियारी भी आगे ही आगे बढती हुई नजर आती है ! इस वास्ते खबरदार होकर होशियारीके साथ विचार कर सार निकालनेका ख्याल रखना योग्य हैताकि पीछेसे पश्चात्ताप करनेकी जरूरत न रहे ! __ राज्य अंग्रेज सरकारका हैं कानून ( कायदे) सबके लिये तैयार है ! चाहे अमीर हो, चाहे गरीबहो ; चाहे राजा हो, चाहे रंक हो! चाहे शहरी हो, चाहे गँवार हो ! जो एक कहेगा दो सुनेगा ! थोडे समयकी बात है, लश्कर से बुद्धि सागर नामा खरतर गच्छीय मुनिके नामका पत्र हमारे पास आया, जिसमें पर्युषणाकी बाबत कुछ लिखा था, हमने मुनासिब नहीं समजा कि' वृथा समय खोकर परस्पर ईर्षाकी वृद्धि करनेवाला काम किया जावे ! कितनेही समयसै गच्छ संबंधी टंटा प्रायः दबा हुवा है, तपगच्छ खरतरगच्छ दोनो ही गच्छ प्रायः परस्पर संपसे मिले जुलेसे मालुम होते है' उनमें फरक पड़नेसे कुछ दबे हुए जैन शासन के वेरिओंका जोर हो जानेका सम्भव है। यह तो प्रसिद्धही है कि दोनोंकी लड़ाई में तीसरेका काम हो जाता है। यद्यपि महात्मा मोहनलालजी महाराज खरतर गच्छके थे, तथापि तपगच्छवाले उनको अधिकसे अधिक मान देते थे ! यही गच्छ पक्षकी कुछक शांति लोकोंके देखने में आती थी ! मरहूम महात्मा भी तपगच्छकी बाबत अपना जुदा ख्याल नहीं जाहिर करते थे ! बलकि खुद आप भी तपगच्छकी समाचारी करते थे जो कि प्रायः प्रसिद्ध ही है परन्त सूर्पनखा ममान जीव उभय पक्षको दुःखदायी होते हैं तद्वत् बुद्धिसागर For Private And Personal
SR No.020134
Book TitleBruhat Paryushananirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar Maharaj
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages585
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size10 MB
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