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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir [ १४८ ] दिन भी स्वभाविक रहते थे तथापि इन तीनों महाशयोंने उत्सूत्र भाषणरुप सासवृद्धि होनेसें वर्तमानिक दो श्रावण होते भी भाद्रपद में पर्युषणा और पीछाड़ी के 90 दिन शास्त्रोंके प्रमाण विरुद्ध हो करके स्थापन किये और तीनों महाशय खात आप भी स्वयं एक जगह अधिकमास को कालचूला की उत्तन ओपमायें लिखते हैं दूसरी जगह नपुंशककी ओपसासें लिखते हैं आगे और भी एक जगह तुच्छ अधिकमा ३० दिनोंका धर्मकर्मको गिनती में लेते हैं दूसरी जगह ३० दिनोंको ही सर्वथा निषेध करते है इसी तरहसे कितनी ही जगह पूर्वापरविरोधी (विहस्वादी ) उटपटांगरूप वाक्य लिखके गच्छ पक्षी जनों को शास्त्रानुसार की सत्य बात परसें श्रद्धा छोड़ा कर शास्त्रकारों के विरुद्धार्थ में मिथ्यात्वरूप कदाग्रह में गेर दिये तथा आगे अनेक जीवोंको गेरनेका कार्य कर गये हैं इसलिये खास तीनों महाशयों की और इन्होंके शास्त्र विरुद्ध लेखको सत्य मान्यकर उसी तरह सें अधिक मासको निषेधरूप मिथ्यात्व के पीष्ट पेषणको पीसते रहेंगे जिससे भोले जीव भी उसी में फसते रहेंगे उन्होंकी आत्मा कैसे सुधारा होगा सो तो श्रीज्ञानीजी महाराज जाने तथा और भी थोड़ासा सुन लिजिये श्रीभगवतीजी सूत्र में १ और तत् वृत्ति में २ श्रीउत्तराध्ययनजी सूत्रमें ३ और तीनकी छ व्याख्यायों में श्रीदशवैकालिक सत्र में १० और तीनकी चार व्याख्यायों में १४ श्रीधर्मरत्नप्रकरणवृत्ति में १५ श्रीसङ्घपटक बृहत् वृत्ति में १६ श्रीश्राद्धविधिवृत्ति में १९ इत्यादि अनेक शास्त्रों में उत्सूत्रभाषक श्रीतीर्थङ्कर गणधर पूर्वाचार्य्यादि परम गुरुजन महा For Private And Personal
SR No.020134
Book TitleBruhat Paryushananirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar Maharaj
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages585
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size10 MB
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