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[ ४१ ] ४४ भाग ६२ ठिया तेहने बेगुणा कीजे ७६७ सातसी सडसठ अहोरात्रि अने १ अहोरात्रिना २६ भाग ६२ ठिया थाय तेहने पहिले ३ चन्द्रवर्षना मानमांहि घातिये तिवारे १८३० अहोरात्रिथाय ऋतु मासनो मान ३० अहोरात्रिनु तेमाटे १८३० ने भागें हरिये तो १ युगने विर्षे ६१ ऋतुमास थाय । ___ पंचसंवच्छरिएण जुगे बावठिं पुन्निमाउ बावठिं अमावसाउ पन्नता ___ अथ द्विषष्ठिस्थानकं पंचेत्यादि तत्र युगे त्रयश्चन्द्रसंवत्सरा भवन्ति तेषु षट्त्रिंशत् पौर्णमास्यो भवन्ति द्वौचाभिवद्धितसंवत्सरौ भवतस्तत्र चामिवर्द्धितसंवत्प्तरस्त्र योदशशिश्चंद्रमासैर्भवतीति तयो षड़ विंशतिः पौर्णमास्य इत्येवं द्विषष्ठिस्ता भवन्ति इत्येवममावास्यापीति ।
हिवे ६२ मो लिखे छे। पांचसंवत्प्तरानो युगहोय तेह मांहि ६२. पुनिम अने ६२ अभाव या कही १ युगमाही ३ चन्द्रवर्ष होय तेह मांहि मास ३६ बारेत्रिक ३६ पूर्णिमा अने ३६ अमावस्या होय अने युगमाहि २ अभिवद्धित वर्ष होय तेहना माम २६ होय तेमाटे पूनिन २६ अमावस्या २६ सर्व पांच वर्षनामिलि ६२ पूर्णिमा अर्ने ६२ अमावस्या होय ॥
देखिये पञ्चमगणधर श्रीसुधर्मस्वामिजीने भी उपरके श्रीसमवायाङ्गजीके मूलसूत्र पाठमें और श्रीअभयदेवसूरिजी वृत्तिकारने भी अधिक मासकी गिनती बरोबर किवी और चंद्रमासोंसें चंद्रसंवत्सरका प्रमाण तथा अभिवद्धितमाप्तोंमें अभिवद्धि तसंवत्प्तरका प्रमाण दिनोंकी गिनतीसें खुलासा करके एक युगके बासठ चंद्रमासके हिसाबसे ६२ पूर्णिमासी तथा ६२ अमावस्या और चंद्रमासकी गिनतीके प्रमाणसे
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