________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
[ ३० ] रात्री प्रमाणनो ते ऋतुमास जाणवो। चोथो, आदित्य जे सूर्य तेहनं अयन एकगोने ज्याशी दिवप्तन होय । तेनो छटोभाग ते आदित्य मास कहिये। पांचमो अभिवर्द्धित ते तेर चंद्रमासे थाय। बार चंद्रमासे संवत्सर जांणवो परन्तु जेवारे एक वधे तेवारे तेने अभिवर्द्धित मास कहिये एनंज प्रमाण विशेष देखाड़े छे। मूल -अहरत्तसित्तवीस तिसत्त सत्तद्वि भाग नरकतो॥ चंदोअ उणत्तीस बसविभागाय बत्तीसं ॥०॥
अर्थः-ततावीत अहोरात्री अने एक अहोरात्रीना शड़सठ भाग करिये तेवा एकवीस भागे अधिक एक नक्षत्र भासथाय । अने मासना उगणत्रीस अहोरात्री तेना उपर एक अहोरात्रिना बासठभाग करिये एवा बत्रीस भागे अधिक एक चंद्रमास थाय ।
मूलः-उउभासो तीसदियो, आइच्चोवि तीस होइ अच। अभिवडिओअ मासो चउवीस सएण छेएण ॥९०६॥ अर्थः-ऋतुमास ते संपूर्ण त्रीरुदिवस प्रमाणनो जाणवो तथा आदित्यमास ते त्रीसदिवस अने उपर एक दिवसना साठिया जीसभाग करिये तेटला प्रमाणनो जांणवो। अने अभिवहितमाप्त ते चउवीसे अधिक एकशतछेद एटले भाग तेज देखाड़े छे ॥ ९०६ ॥ मूलः-भागाणिगवीससयं, तीसाऐगाहिया दिणाणं व। एएजह निप्पत्ति, लहंति समयाऊतहनेयं ॥ ९०७ ॥ अर्थः-ते पूर्वोक्त एकसोने चोवीसभाग एक अहोरात्रना करिये तेवा एकसो एकवीसभाग अने एकदिवसे अधिक ग्रीस एटले एकत्रीस दिवस अर्थात् एकत्रीस दिवसने एक अहोरात्रीना एकसो चोवीसभाग मांहेला
For Private And Personal