SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ( ८) मर्यादाके प्रतिकूल तथा पञ्चाङ्गीके प्रमाणों के भी विरुद्ध होकरके गच्छाग्रह के पक्षपातसे दी श्रावण होते भी प्रत्यक्षपणे ८० दिने भाद्रपद में पर्युषणा करने का वृथा आग्रह कदापि नहीं करेंगे। और उपरोक्त शास्त्रानुसार तथा युक्ति पूर्वक ५० दिने दूसरे प्रावणमें वा प्रथम भाद्रपद में पर्युषणा करनेवाले श्रीजिनाजाके आराधक पुरुषों पर द्वेष बुद्धिसे वृथा उत्सूत्र रूप मिथ्याशाषणसे आज्ञा अङ्गका दूषण उगाकर बालजीवोंको भ्रममें गेरनेका साहस भी कदापि नहीं करेंगे। _ और फिर अपनी चातुराईसे आप निर्दूषण बननेके लिये जैन शास्त्रों में अधिक मासको गिनतीमें नहीं गिना है ऐसा उत्सूत्र भाषणरूप कहके अज्ञजीवोंके आगे मिथ्यात्व फैलाते हैं उसीका निवारण करने के लिये और भव्य जीवोंको निःसन्देह होनेके लिये इसजगह अधिक मासकी गिनतीके प्र. माण करने सम्बन्धी पञ्चाङ्गीके अनेक प्रमाण यहां दिखाता हूं। श्रीसुधर्मस्वामीजी कृत श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र में १, तथा श्रीसूर्य प्रज्ञप्तिमूत्रमें २, औरसंवत् १३० के अनुमान श्रीमलय गिरिजी कृत उपरोक्त दोनों सूत्रोंकी दोनों वृत्तियोंमें ४, श्रीभद्रबाहुस्वामिजीकृत श्रीदशवैकालिकसूत्रके चूलिकाकी नियुक्ति में ५, तथा श्रीहरिभद्रसूरिजी कृत सत् नियुक्तिकी वृहत्तिमें ६, श्रीनिशीथसूत्रके लघुभाष्यमें, बहद्भाष्य में 9, चूर्णिमें ८ श्रीबहत्कल्पके लघुभाष्य में, सहदायमेंट, चूर्णिमें १० और वृत्ति११ श्रीसमवायांगजी में १२, तथा तदवृत्तिमें १३ औरश्रीस्थानांगजीसूत्रकी वृत्तिमें १४, श्रीने मीचन्द्रसरिजी कृत श्रीप्रवचनसारोद्वार में १५, श्रीसिद्धसेनसरिजी कृत तत्सूत्रकी वहत्ति में १६, श्रीउदयसागरजी कृत तत्सत्रकी लघुपत्तिमें १७, श्रीजिनपतिसरिजीकृत श्रीसमा. चारी ग्रन्थ में १८,श्रीसंघपटक लघवृत्तिमें, यहत्ति में १९ श्रीजि नप्रभसरिजी कृत श्री विधिप्रपासमाचारीमें २० और श्रीसमय For Private And Personal
SR No.020134
Book TitleBruhat Paryushananirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar Maharaj
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages585
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy