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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandi [१०१] करसावध योगका त्याग करके साधुकी तरह पंचसमिति और तीन गुप्तिसहितउपयोगसे गुरुमहाराजपास आकर फिर सामायिकका उ. च्चारणकरके पीछे इरियावहीपूर्वक स्वाध्यायादि करनेकाबतलाया. ६-शामको छ आवश्यकरूप प्रतिक्रमणकरनेकेलिये पहिले मं. दिरमें देवदर्शन,पूजा आरति वगैरहकरके पीछे उपाश्रय या पौषधशा लामे आकर गुरुके अभाव में भूमिका प्रमार्जनपूर्वक सामायिककरनेके लिये नवकार गुणकर स्थापनाचार्यकी स्थापनकरनेका बतलाया. ७-सामायिक करनेके लिये खमासमण पूर्वक गुरुसे आदेश लेकर सामायिकलेनेसंबंधी मुहपत्तिका पडिलेहणकरनेका बतलाया. ८- मुहपत्तिका पडिलेहणकरके प्रथम खमासमण पूर्वक सा. मायिक संदिसाहणेका, तथा फिर दूसरा खमासमण पूर्वक सामायिक ठाणेका आदेश लेनेका बतलाया. ९- विनय सहित मस्तक नमाकर नवकारपूर्वक करेमिभंते! सामाइयं' इत्यादि सामायिकका पाठ उच्चारण करनेका बतलाया. १०- करेमिभंतेका पाठ उच्चारण कियेबाद पीछेसे इरियावही. करनेकाबतलाया सो 'इरियावही' कहनेसे इरियावही,तस्ल उत्तरी, अन्नत्थ उससिए णं, कहकरके ४ नवकार या १ लोगस्सका काउसग्ग करनेका और ऊपर संपूर्ण लोगस्स कहनेका समझलेना चाहिये. ११- जैसे पौषधवाला देवदर्शनादिक कार्योंसे गमनकरके आ. या होवे वो इरियावही पूर्वक आगमनकी आलोचना करे, अर्थात्इरियासमिति इत्यादि अष्टप्रवचनमाताके विराधनाकी आलोचनाकरके मिच्छामि दुक्कडं देताहै, तैसेही-यदिश्रावक अपने घरसे सा. मायिक लेकर इरियासमिति आदि पांच समिति और तीन गुप्ति सहित उपयोगसे गुरुपास आया होवे तो फिर गुरु साक्षिसे करेमि भंते !' इत्यादि सामायिक लेकर पीछे इरियावहीपूर्वक इरियासमिति इत्या. दि आगमनकी आलोचना करनेका बतलाया. . १२-सामायिक लेकर पीछे इरियावही करके आगमनकी आलोचना करे, बाद यथा योग्य आचार्यादिक वडीलोको अनुक्रमसे सर्व साधुओंको वंदना करनेका बतलाया. १३ - 'पूर्वसूरिनिर्दिष्टविधानेन' तथा 'पडिलेहिता' अर्थात्-जगह आसनादिकका प्रमार्जन पडिलेहण पूर्वक बैठने स्वाध्याया. दि करनेका आदेश लेकर अपना धर्मकार्य करनेका बतलाया. १४- सामायिक लिये बाद गुरुके साथ धर्म वार्ता करें या कोई For Private And Personal
SR No.020134
Book TitleBruhat Paryushananirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar Maharaj
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages585
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size10 MB
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