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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वस्वौकसारा ९४५ वह्निसंज्ञकः वस्वौकसारा (स्त्री०) कमलिनी-'वस्वौकसारा श्रीदस्य वहंतः (पुं०) [वह्+अच्] पवन। नलिन्यामलकापुरि' इति विश्वलोचन:' (जयो०१० वहभारः (पुं०) पंखों का भार। (जयो० १३/८६) ११/११७) वहितं (नपुं०) [वह इत्र] डोंगी, नाव, किश्ती। वंह (सक०) उज्ज्वल करना, चमकाना, कान्तिमय करना। वहिरास्थित (वि०) बाह्य स्थित। (समु० २/३१) वह (सक०) ले जाना, धारण करना, ग्रहण करना। (जयो० वहिष्कः (वि०) [वहिस्कन्] बाहरी। ६/१०१) दिगपि गन्धवहं ननु दक्षिणा वहति विप्रियनिश्वसनं वहेडकः (पुं०) विभीतक तरु, बहेड़ा का वृक्ष। त्वाम्। (वीरो० ६/३७) वहेडुकः (पुं०) बहेडा का वृक्षा परिवहन करना, वहन करना। तस्थु सशल्यांघ्रिदशां वहन्तः। वह्निः (पुं०) [वह्+निः] आग, अग्नि। (सम्य०७) (वीरो० १४/१४) तेज, ज्वाला। नेतृत्व करना, निकलना। (सुद० २/३६) वह्नि देव, लौकान्तिक देव की एक जाति। ०ढोना, चलाना, धकेलना। ०हविरासन् (जयो०वृ० १८/४४) सहारा देना, आश्रय देना, थाम लेना, धारण करना। पाचनशक्ति, आमाशय का रस। (जयो० १/६४) ०हाजमा, भूख लगना। ०वहना, फैलना। (जयो० २/९३) (जयो० १/८) वह्निकणं (नपुं०) अङ्गारकभाव। (जयो०वृ० १६/२४) ०हांकना, ठेलना, पारगमन करना। वह्निकायिकः (पु०) अग्निकायिक जीव। नान्यत्र छोड़ना, त्यागना, तिलाञ्जलि देना। (सुद०७०) सम्मिश्रणकृत्प्रशस्ति र्वह्निश्च सञ्जीवनभृत्समस्ति। (वीरो० घटाना, प्रयोग करना, उपयोग करना। १०/३०) संभालना, ऊँचे उठाना, संधारण करना। वह्निकाष्ठं (नपुं०) चन्दन की लकड़ी, अगर लकड़ी। उपक्रम करना, आरंभ करना। (जयो० २/५३) । वह्निगंधः (पुं०) धूप, लोबान। वहः (पुं०) [वह कर्तरि अच्] वहन करने वाला, ले जाने वह्निगर्भः (पुं०) बांस। वाला, धारण करना। शमीवृक्षा ०हवा, पवन। वह्निज्वाला (स्त्री०) अन लार्चि। (जयो० १२/५६) नद, नाला। वह्निदीपका (स्त्री०) कुसंभ तरु। माप विशेष। वह्निभोग्यं (नपुं०) घृत। वहतः (पुं०) [वह+अतच्] ०यात्री। वह्निमित्रः (पुं०) पवन, हवा, वायु। बैल, वृषभ, बलिवर्द। वह्निरेतस् (नपुं०) शिव। वहतिः (पुं०) बैल, बलिवर्द। वह्निलोहं (नपुं०) तांबा। पवन, वायु। वह्निवर्ण (नपुं०) लाल रंग का कुमुद, रक्तोपल। मित्र। वह्निवल्लभः (पुं०) राल। ०परामर्श दाता, सलाहकार। वहिवाधानिवृत्ति (स्त्री०) अग्निबाधा की शान्ति। (जयो०७० वहती (स्त्री०) नदी, सरिता। ९/७३) वहतु (पुं०) बैल, बलिवर्द। वह्निबीज (नपुं०) स्वर्ण, सोना। वहनं (नपुं०) [वह ल्युट्] व्यान, वाहन, नाव, डोंगी। ___ चूना। ०ले जाना, धारण करना। वह्नि शिखं (नपुं०) केसर, कुसुंभ। ०ढोना, सहारा देना। वह्निशिखा (स्त्री०) अग्निज्वाला। अंगार, लौ। ०वहना, प्रवहमान होना। वह्निसखः (पुं०) पवन, वायु, अनिल। वहनक्रिया (स्त्री०) सधारण क्रिया, पाणिपीडन क्रिया। (जयो० वह्निसमूहः (पुं०) अग्निपुंज। (वीरो० ४/५६) १४/७) वह्निसंज्ञकः (पुं०) चित्रक तरु। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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