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वलित्रय
९४०
वल्लरं
घिरा हुआ, लिपटा हुआ। झुर्रियों युक्त, झुरींदार।
गतिशील, प्रवाहमान। वलित्रय (वि०) तीन रेखाओं वाली। (वीरो० ६/७) वलिन् (वि०) झुरींदार, आकुंचित। वलिर (वि०) [वल+किरच्] भैंगी आंख वाला। वलिशं (नपुं०) मछली पकड़ने का कांटा। वलीकं (नपुं०) [वल्+कीकन्] ओलती, छप्पर का किनारा,
मुंडेर। वलूकः (पुं०) पक्ष विशेष। वलूकं (नपुं०) कमलनाल। वलूल (वि०) [वल्+लच्] बलवान, शक्तिमान्, हृष्ट पुष्ट। वल्म् (सक०) बोलना, कहना। वल्कः (पुं०) वृक्ष की छाल। (सम्य० ४९) वल्कं (नपुं०) वृक्ष की छाल। ०भाग, खण्ड, अंश, हिस्सा। वल्कतरु (पुं०) वृक्ष, तरु, छाल वाला पेड़। वल्कलः (पुं०) [वल्+कलच्, कस्य नेत्वम्] ०वल्कल, छाल
का वस्त्र। (सम्य० १४९) वल्कलं (नपुं०) देखो ऊपर। वल्कवन् (वि०)पपडी युक्त मछली। वकलसंवीतः (पुं०) छालवस्त्र धारण करने वाला। वल्किलः (पुं०) [वल्क्+इलच्] कांटा। वल्कुटं (नपुं०) छाल, वल्कल। वल्ग (सक०) उछलना, इधर-उधर जाना।
छलांग मारना, कुलांच भरना, चौकडी भरना।
कूदना। वल्गनं (नपुं०) [वल्ग्ल्यु ट्] उछलना, कूदना, दौड़ना, चौकड़ी
भरना। लगाम। (दयो० ४०) वल्गा (स्त्री०) [वल्ग+अच्+टाप्] ०लगाम, रास। . वल्गित (भू०क०कृ०) [वल्ग्+क्त] ०उछला हुआ, कूदा हुआ।
गतिशील किया गया, नचाया गया। वल्गितं (नपं०) दौड, चलना. नाचना. कदना। वल्गुन्न (वि०) [वल संवरणे उ गुक् च] प्रिय, रमणीय,
मनमोहक, सुंदर, मनोज्ञ।
आकर्षक, लुभावना, मधुर, श्रेष्ठ। मूल्यवान।
वल्गुः (पुं०) बकरा, अज। वल्गुक (वि०) [वल्गु+कन्] प्रिय, मनोहर, रमणीय। वल्गुकं (नपुं०) चंदन।
०मूल्य।
०लकड़ी। वल्गुलः (पुं०) [वल्ग+उल] गीदड़। वल्गुलिका (स्त्री०) [वल्गुल कन्+टाप्] तैल चोर।
०पेटी।
डिब्बा। वल्भ् (सक०) खाना, निगलना, आस्वादन करना, चखना। वल्मी (स्त्री०) [वल्+अच्+ङीष] चिऊँटी, चींटी। वल्मीकं (नपुं०) वामी। वल्मीकूटं (नपुं०) वामी, दीमक निर्मित मिट्टी का ढेर, कुटी।
(दयो० २२/ ) वल्युल् (सक०) काट डालना। वल्ल् (सक०) ढकना। आच्छादित करना। वल्लः (पुं०) चादर, आवरण, ढक्कन, प्रवारण।
भार विशेष, तीन गुंजाओं का तौल।
प्रतिषेध। वल्लकिका (स्त्री०) ०वीणा, एक वाद्य विशेष। वल्लकी (स्त्री०) [वल्ल्+क्वुन्+ङीष्] वीणा। (जयो० १०/८)
(सुद० २/१२) वल्लभ (वि०) [वल्ल्+अभच्] प्रिय, मनोज्ञ, प्यारा, इष्ट,
प्रेय। (जयो० १/९६)
०सर्वोपरि, अभिलषित। वल्लभः (पुं०) प्रेमी, स्नेही, प्रिय. पति।
०कृपापात्र, दयागत।
अधीक्षक, अध्यवेक्षका वल्लभता (वि०) मनोज्ञ, प्रियता, रमणीयता। (वीरो० २१/१)
'शिवश्रियं यः परिणेतुमिद्धः समाश्रितो वल्लभतां प्रसिद्धः' वल्लभभाई पटेलः (पुं०) बीसवीं शताब्दी के नेता, जो
मृदुस्वभाषी थे। (जयो० १८८१) वल्लभाचार्यः (पुं०) वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक। वल्लभायितं (नपुं०) [वल्लभ+क्य+क्त] रति बन्ध, सुरत
क्रीड़ा की पद्धति। वल्लरं (नपुं०) [वल्ल्+अरन्] अगर की लकड़ी।
निकुंज। ०झुरमुट।
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