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लोकाचारः
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लोभः
लोकाचारः (पुं०) व्यवहार। (जयो०५/४७) जन-व्यवहार।
०लोकविधि। लोकाचारखेदित्व (वि०) व्यवहार के आचरण के प्रति
खिन्नता प्रकट करने वाला। (जयो० १९/४४) लोकातिग (वि०) असाधारण, अतिप्राकृतिक। लोकातिशय (वि०) असाधारण, संसार के लिए श्रेष्ठ। लोकाधिपः (पुं०) नृप, राजा। लोकाधिपतिः (पुं०) नृप, राजा। लोकानुप्रेक्षा (पुं०) संसारानुप्रेक्षा। लोकानुरागः (पुं०) लोकरुचि, जनरुचि। लोकान्तरं (नपुं०) लोगों के बीच। ०लोक के मध्य।
(सुद० २/३३) लोकान्तिकः (पुं०) लोकान्तिक देव। लोकापवादः (पुं०) जनापवाद। ०जन श्रुति का अपवाद। लोकाभ्युदयः (पुं०) लोककल्याण, जनकल्याण। लोकायितकः (पुं०) लोकवाद को महत्त्व देने वाला चार्वाक
दर्शन। (दयो० ४१) अनात्मवादी। नास्तिक,
०भूततत्त्ववादी। लोकालोकः (पुं०) लोक और अलोक। लोकाकाश और
अलोकाश। लोकाश्रयः (पुं०) संसार का आधार। (हित० ३) लोकोत्तरः (पुं०) अनुपम, श्रेष्ठ। (वीरो० ३/८) लोकोत्तरकान्तिः (स्त्री०) अनुपम सौंदर्य। (जयो० १४/७५) लोकोत्तरगुण: (पुं०) उन्नत गुण, सर्वश्रेष्ठ गुण। (जयो०
५/५३) लोकोत्तरमहिमा (स्त्री०) महती प्रभावना। (भक्ति० ३) लोकोत्तररूपः (पुं०) लोकातिशायी रूप, अनुपम सौंदर्य। |
(जयो० ११/८५) लोकोत्तरवृत्तिः (स्त्री०) विसर्ग परिणाम। (जयो० १८/५५) लोकोत्तरसौंदर्य (वि०) विशेष सुंदरता। (जयो० १/४६) लोकोपकारी (वि०) जन जन का उपकार करने वाला। | ___(वीरो० १८/१५) लोकोपकृत (वि०) जनोपकारी। ०लोकहितकारी। लोच (सक०) देखना, अवलोकन करना। निरीक्षण करना,
सोचना, विचारना। लोचं (नपुं०) अश्रु, आंसु। लोचकः (पुं०) [लोच्+ण्वुल] मूर्ख पुरुष, धूर्त। लोचो मौर्व्या
भ्रश्लथ धर्मणि इति वि (जयो०८/५१) आंख की पुतली।
केंचुली।
०मोमपिण्ड। निरीक्षक, ०दर्शक। लोचनः (पुं०) नाम विरूप। (सुद० १/३२) लोचनं (नपुं०) [लोच्ल्यु ट्] नेत्र, नयन। (सुद० १३७)
अवलोकन, दर्शन, देखना। (दयो०६५) लोचनता (वि०) नयनरूपता। (जयो० १६/६९) लोचनापथः (पुं०) दृष्टिक्षेत्र। लोट् (अक०) मूर्ख होना, पागल होना मदहोश होना, उन्मत्त
होना। लोठः (पुं०) [लुठ+घञ्] लोटना, लुड़कना। लोड् (अक०) पागल होना, मूर्ख होना, मूछित होना।
विलोडित करना। (जयो० २१/५) लोडनं (नपुं०) अशान्त करना, उद्विग्न करना। लोणारः (पुं०) नमक। लोत् (पुं०) [लू+तन्] अश्रु, आंसू।
चिह्न, संकेत। लोत्रं (नपुं०) चुराई गई सम्पत्ति, लूटा गया धन। लोध/लोधः (पुं०) लाल, रक्त। ___ लोध्रवृक्ष। लोपः (पुं०) [लुप्-भावे घञ्] ०लोप, क्षति, हानि, अभाव,
समाप्ति। (जयो०वृ० १/६२) प्रकृति प्रत्ययादि लोप (जयो०वृ० १/३१) उन्मूलन, अपाकरण, उत्साधन, अन्तर्धान, अप्रचलन, उल्लंघन, अतिक्रमण। ०अनुपस्थिति।
अदर्शन, वर्णलोप। लोपनं (नपुं०) अतिक्रमण, उल्लंघन।
०अभाव, हानि, क्षति करना। ___०छूट देना। लोपमित (वि०) व्यलोपि। (जयो० १/६२) लोपयति (व०क०) लोप करता है। (जयो० ५/४) लोपा (स्त्री०) अगस्त्य मुनि की पत्नी। लोपाकः (पुं०) गीदड, शृंगाल। लोपिन् (वि०) [लुप् णिनि] हानि पहुंचाने वाला, लोप करने
वाला। (सम्य० ६१) लुप्त होने वाला। लोभः (पुं०) [लुभ्+घञ्] लालच, लोलुपता, लालसा।
लोभात्क्रोधः प्रभवति, लोभात्कामा, प्रजायते। लोभान्मानश्च माया च लोभः अपस्य कारणम्।। (जयो०
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