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रुचक
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रुद्
अभिरुचि, इच्छा। (सुद० १०२)
रुचिरं (नपुं०) केसर। शोभना (जयो० १/९३) अच्छा लगना।
रुचिरता (वि०) मधुरता, ललितपना, मनोहरता। 'रुचिरतामिति रुचक (वि०) रुचिकर. सुखद, आनंदप्रद।
कोकिकपित्सतां सरसभावभृतां मधुरारवैः' (वीरो०६/३५) ०क्षुधावर्धक।
रुचिरुचिता (स्त्री०) तल्लीनता की विशेषता, अभिरुचि की ०चरपरा, तीक्ष्णः
इच्छा। (सुद० ९१) रुचकः (पुं०) नींबू।
रुचिवेदनं (नपुं०) इच्छाज्ञान। (वीरो०५/३४) ०उचित संवेदन। कबूतर
रुचिहेतु (पुं०) रुचि का कारण। 'जल इव तृडपहारिणीशे तु रुचक (नपुं०) दांत।
स्वादु तेव सासीद्रुचिहेतुः। (जयो० २२/६०) ०हार, माला।
रोचमान (रुच्+शानच्) प्रिय लगने वाला। (सुद० १२५) ०काला नमक।
रोचिष्णु (वि०) रुचिकर लगने वाला। (जयो० २७/४०) रुचात्मन् (वि०) अभिरुचिपूर्ण। (जयो० १४/२९)
रुच्य (वि०) उज्ज्वल, साफ, स्वच्छ, प्रिय, सुंदर, मनोज्ञ। रुचामय (वि०) कान्तिमय। (जयो० १०/३)
रुच्यर्थ (वि०) उत्तमता, अच्छा लगने वाला। (सुद० १०२) रुचिः (स्त्री०) [रुच्+कि] कान्ति, प्रकाश आभा, प्रभा।
रुज् (सक०) नष्ट करना, ध्वंस करना। (सुद० १२०)
०दु:ख देना। (जयो० २/७०)
०पीड़ा देना, रोगग्रस्त होना। ० उज्ज्वलता। छवि, रंग।
रुज्/रुजा (स्त्री०) भंग।
०पीड़ा, संताप, यातना, वेदना। (जयो० ९/६३) स्वाद, आनंद, अभिरुचि। 'रुच्या न जातु तमृते सकला
रोग। (जयो० २/२८) समस्या'। (सुद० २६)
अस्वास्थ्यकर। (जयो० ११/४३) शोभामनुरक्ति (जयो० ४/६०)
बाधा, विघ्न। 'शत्रुसम्पत्तीनां मध्ये रुजां प्रजातिः' (जयो० लवलीनता, तल्लीनता। (सुद० ५/३)
१/५२) ०कामना, खुशी। 'फलतीष्टं सतां रुचि।' (सुद० ३/४३)
०बीमारी, व्याधि। रुचिकर (वि०) स्वादिष्ट, रोचक। (जयो०व०१२/१२८)
०थकावट, श्रम, प्रयत्न, कष्ट। चमकोला। शोभायमान। (समु० ७/१)
रुजप्रतिक्रिया (स्त्री०) रोग की चिकित्सा। रुचिकरी (वि०) इष्टकरी, आनंदायी। (जयो०वृ० ३/६३)
रुजभेषजं (नपुं०) औषध। रुचिकारक (वि०) सुरुचिपूर्ण। (जयो० १/९४) (जयो०
रुजसद्मन् (नपुं०) विष्ठा, मल। १/१७) कान्तिपूर्ण। गुणवती। (जयो० ३/६१)
रुजि (स्त्री०) वेदना, रोग। (सम्य०५१) रुचित (वि०) सौंदर्यपूर्ण, अभिरुचि युक्त। (जयो० २/१५५)
रुण्डः (पुं०) [रुण्ड्+अच्] कबन्ध, धड़, सिर रहित शरीर। रुचिदा (वि०) रुचिकर। (समु० १/१४)
रुतं (नपुं०) [रु+क्त] क्रन्दन विपलन, विलाप। (जयो० रुचिधुरी (वि०) यशस्वी। (समु०५/२२)
९/२०) रुचिभर्तृ (पुं०) सूर्य, दिनकर।
०किलकिलाना, दहाड़ना। ०चन्द्र।
०सूजना, शब्द करना। रुचिमल्ल (वि०) शोभा युक्त। (समु० २/१)
रुतज्ञः (पुं०) भविष्यवक्ता, ज्योतिषी। रुचिर (वि०) [रुचिं राति ददाति-रुच्+किरच्] मनोज्ञा । रुतव्याजः (पुं०) कुट क्रन्दन, स्वांग। (जयो० ६/९४)
रुद् (अक०) रोना, विलाप करना, क्रंदन करना। (सुद० ० उज्ज्वल, कान्तिमय, रुचिकर।
३/२६) रौति (जयो० २५/७१) रुदति (जयो० ९/७) ०मधुर, ललिता
(सुद० ४/१०) ०क्षुधावर्धक, भूख बढ़ाने वाला।
०शोक मनाना, आंसू बहाना, दहाड़ना, चिल्लाना। ०पुष्टिदायक, बलवर्धक।
फूट फूटकर रोना।
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