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हस्तिकक्ष्यः
१२४०
हारः
हस्तिकक्ष्यः (पुं०)० सिंह, ० बाघ।
हा (अक०) जाना, जुदा होना, चले जाना। हस्तिकर्णः (पुं०) एरण्ड पादप।
० छोड़ना, त्याग करना, भूल जाना। हस्तिन (वि०) हाथी को मारने वाला।
० घटना, कम होना, क्षीण होना। हस्तिचारिन् (पुं०) बलवान्, शूरवीर, बहादुर।
हाङ्गरा (स्त्री०) एक मछली। [हा विषादाय पीडायै वा अंग ० महावत।
राति-हा-अङ्ग+रा+क] हस्तिदन्तः (पुं०) हाथीदांत।
हाटक (वि०) [हाटक+अण्] सुनहरी। ० गजदन्तपर्वत। (भक्ति० ३६)
हाटकम् (नपुं०) सोना, कनक, कंचन। हस्तिदन्तकम् (नपुं०) मूली।
हाटकगिरि (पुं०) सुमेरु। हस्तिनखम् (नपुं०) मिट्टी का ढला।
हाटकपट्टिका (स्त्री०) आभूषण का नाम, स्वर्णाभूषण। हस्तिनागपुरं (नपुं०) हस्तिनापुर। (जयो० १/२)
(जयो० १०/३४) हस्तिनागाधिपः (पुं०) हस्तिनापुर का राजा। (वीरो० १/२०) | हात्रम् (नपुं०) [हा करणे त्रल] पारश्रमिक, मजदूरी, भाड़ा। हस्तिपुरम् (नपुं०) गजपत्तन। (जयो०वृ० १३/१)
हानम् (नपुं०) [हा+क्त] छोड़ना, त्यागना। हानि क्षति। हस्तिनी (स्त्री०) हथिनी, गरेणु। (जयो०वृ० १३/१०८)
० असफलता, अनुपस्थिति। हस्तिपः (पुं०) महावत, सादीवर। (जयो० १३/३६, १३/४) ० तिलांजलि। हस्तिपकः (पुं०) महावत, सादीवर।
० न्यूनता। ० कमी। हस्तिपंक्तिः (स्त्री०) गजराजि, हस्तिसमूह। (जयो० १३/१४) • पराक्रम, बल। हस्तिपुरम् (नपुं०) हस्तिनापुर। (जयो० १/५)
हानयोग्य (वि०) छोड़ने योग्य। (जयो० २/६५) हस्तिपुराधिपः (पुं०) हस्तिनापुर का राजा, जयकुमार विशेषा | हानिः (स्त्री०) [हा+क्तिन् तस्य निः] छुटकारा (सुद० १०४) (जयो० ११/८) (जयो० १/५)
० परित्याग। (सम्य० १०२) हस्तिपुराधिराजः (पुं०) हस्तिनापुर का राजा।
० असफलता, नुकसान। हस्तिमदः (पुं०) हाथी का मद।
० तिलांजलि। हस्तिमदादिहरणं (नपुं०) हस्तिमद आदि का नाश। (जयो० ० अत्यय। (जयो०वृ० २/१५४)
१९/६५) इसके लिए मंत्र दिया है- ओं ह्रीं अहँ णमो ० बर्बाद होना, नष्ट होना। बोहियवुद्धीणं (जयो० १९/६५)
० अवहेलना। हस्तिमौक्तिकः (पुं०) गजमुक्ता। (जयो०२१/४७)
० न्यूनता, कमी। हस्तिराजः (पुं०) गजेन्द्र, इभेन्द्र। (जयो० ८/७५)
हानिकर (वि०) अत्ययकर, अवहेलना करने योग्य। हस्तिसंचयः (पुं०) हस्तिसमूह।
हाप् (अक०) सेवन करना, उपभोग करना। (जयो० ३/१) हस्तिस्नानम् (नपुं०) गजस्नान।
हापन (वि०) नाशक, मारक। (जयो० २/२२) हस्तिहस्तः (पुं०) सूंड, शुण्ड।
हाप्य (वि०) छोड़ने योग्य। (जयो० २/६५) हस्त्य (वि०) [हस्त+यत्] हाथ से दिया गया।
हाफिका (स्त्री०) जंभाई, जृम्भा। हहलम् (नपुं०) [ह+हल्+अच्] हलाहल विष।
हामवत् (वि०) चण्डवत्। (सुद० ३/१०) हहा (पुं०) [ह+आ+क्विप्] हाहा नामक गन्धर्व।
हायनः (पुं०) वर्ष, सम्वत्सर। हा (अव्य०) [हा+का] हाय, आह, रे (सुद० ९४) अरे। हायनम् (नपुं०) शिखा, ज्वाला।
० खेद, उदासी, खिन्नता। हा खेदवार्ता। (जयो० ४/३९, हारः (पुं०) [ह+घञ्] वाहक. हलकारा। हेति खेदे। (जयो० २।८७) हा खेदप्रकाशने। (जयो० ० हटाना, पकड़ना, हराना। २७/५३, खेद प्रदर्शनार्थम्। (जयो० २५/७०) सुवृत्तभाजो ० अपकर्षण, अलगाव। ग्रहणाय वामां भुवीत्यपूर्वामपरस्य हा माम्।। (जयो० ५/९९) ० माला, हार, गजरा। (दयो० ५४, सुद० २/५०) ० आश्चर्य खेदे। (जयो० ५/१०४)
• कण्ठाभरण (जयो० ३/१०४) आभूषण। (जयो०
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