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रञ्जनार्थ
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रततालिन्
रञ्जनार्थ (वि०) रागार्थ। (जयो०वृ० १२/१३५) सुतृप्ति के रणमुखं (नपुं०) युद्ध का अग्रभाग। लिए। प्रसन्नतार्थ।
रणमूर्धन् (पुं०) लड़ाई का मुख्य क्षेत्र, सेना का मूलस्थान। रञ्जनी (स्त्री०) [रञ्जन्+ङीप्] नील, का पौधा।
रणरंकः (पुं०) हस्ति दंत के मध्य की दूरी। ०मदिरा रोचनी।
रणरंगः (पुं०) मच्छर। रञ्जित (वि०) सुशोभित। (जयो० ३/१०७)
रणरणकः (पुं०) चिन्ता, बेचैनी, खेद, व्याकुलता। रञ्जनी नीलिका शुण्डा मञ्जिष्ठा रोप नीष्वपि इति विश्लो। रणरेणु (स्त्री०) संग्राम रजा (जयो० ६/३८) (जयो० १६/७६)
रणवाद्यं (नपुं०) युद्ध विगुल। रज्यमान (वि०) राज्य करने वाला। (सुद० ४/८)
रणशिक्षा (स्त्री०) युद्ध की शिक्षा, सैन्यविज्ञान का अभ्यास। रट् (वि०) रटना, चिल्लाना।
रणसंकुलं (नपुं०) घोर युद्ध, घमासान युद्ध। दहाड़ना, चीखना, चीत्कार करना।
रणसज्जा (स्त्री०) युद्ध सामग्री। ०क्रन्दन करना।
रणसहायः (पुं०) युद्ध का सहभागी। उद्घोषणा करना, पुकारना।
रणसिद्धि-शिङ्गः (पुं०) रणसिद्धि में उन्मत्त। (जयो०८/१५) उच्चारण करना-पुनः पुनरुच्चारण। (जयो० २३/६१) रणस्तम्भः (पुं०) विजय स्तम्भ, विजयस्मारक। रटनं (नपुं०) [रट्+ल्युट्] चिल्लाना, उच्चारण करना, चीत्कार रणस्थलं (नपुं०) युद्ध क्षेत्र। ०संग्रामस्थल। करना।
रणस्थली (स्त्री०) युद्ध भूमि। (जयो० ११/२७) घोघकना, स्मरण करना।
रणाङ्गणं (नपुं०) युद्ध स्थल। (जयो० ८/१०) रटनकारक (वि०) रट लगाने वाला। (दयो०३४)
रणाग्रं (नपुं०) युद्ध स्थान का अग्रभाग। रण (अक०) ध्वनि करना, झुनझुनाना, टनटनाना, शब्द करना। रणातोद्यं (नपुं०) युद्धवाद्य, संग्राम विगुल। रणः (पुं०) [रण+अप्] युद्ध, संग्राम, लड़ाई।
रणापेत (वि०) भगोड़ा, युद्ध से भागने वाला। ०शब्द, शोर, कोलाहल।
रणारम्भपरा (वि०) युद्धारम्भार्थ सन्नद्ध। प्रतियोगिता। (जयो० ११/९६) मृक्षणं म्रदिमलक्षणे रणे रणिज् (वि०) खनखनाहट। (जयो० ८/५३) काद्रवेयमपि वक्रिमक्षणे। (जयो० ९१/९६) भूमिकोण-रणः रणेच्छु (वि०) युद्ध की इच्छा करने वाला। (जयो० ७/५१) कोणे क्वणे युद्ध।' इति विश्वलोचनः' (जयो०७० २३/४०) रणोत्थशर्म (वि०) युद्धजनित सुख, युद्ध करने वाले का (१६/३०)
जोश। (जयो० ८/१३) ०कलह, ईर्ष्या। (जयोवृ० १६/३०)
रणोत्सुक (वि०) युद्धाभिलाषी। (जयो० ३/१००) रणकी (वि०) कलह करने वाली। (जयो०वृ० १/७) रंडः (पुं०) बंजर। रणक्षितिः (स्त्री०) युद्धस्थल। रणस्थल, संग्राम भू-भाग। रत (भू०क००) [रम्+क्त] निमग्न। (जयो० ३/३) रणक्षेत्रं (नपुं०) युद्धभूमि।
०लीन, तल्लीन, प्रवृत्ति (जयो०वृ० १२/११५) रणतुलं (नपुं०) युद्धघोष, संग्राम बिगुल। (वीरो० ४/६३) तत्पर। (जयो० २/४८) (जयो०१/४०) रणतूर्यं (नपुं०) युद्ध दुन्दुभि, युद्ध घोष।
०खुश, प्रसन्न, तृप्त। (सुद० ८८) रणत्कारः (पुं०) रण रण के शब्द।
निरत। (सुद० १३५) रणदुंदुभिः (स्त्री०) युद्ध घोष, युद्ध विगुल।
०व्यस्त, संलग्न ।(जयो०वृ० १/२२) रणधुरा (वि०) युद्ध में अग्रणी।
चिरपरिचित। (जयो० २३/६८) रणन्नूपुरः (पुं०) रण रण झुनझुन करने वाले नूपुर। ये ये | रतं (नपुं०) संभोग, मिथुन, रतिक्रीड़ा। सहेत विद्वानपदे कुतो
रणन्नूपुरसाररासा यूनां तु चेतः पततां सुभासाः। रतम् (जयो० २/१४०) (वीरो० ९/३८)
रतकूजि (नपुं०) कामासक्त की सीत्कार। रणभूमिः (स्त्री०) आजि, रणक्षेत्र, युद्ध स्थान। (जयो०वृ०६/८०) रतज्वरः (पुं०) काक, कौवा। रणमत्तः (पुं०) हस्ति, हाथी।
रततालिन् (पुं०) कामासक्त, स्वेच्छाचारी।
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