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समस्तजनहितकारिन्
११४९
समाच्छादित
समस्तजनहितकारिन् (वि०) सम्पूर्ण लोगों का हित करने
वाली। (वीरो०२२/२१) समस्तविद्यैकविभूति (वि०) समस्त विद्याओं के एकमात्र
अधिपति। (वीरो० १८/१८) समस्तिः (स्त्री०) समुत्पत्ति। ऋषभ मुदिन्दिरामङ्गलदीपकल्पः
समस्तिमस्तिब्कवतां सुजल्पः। (सुद० १/१२)
समान। (जयो० १/१४) अङ्गाभिधान समयः समस्ति
यस्यासकौ पुण्यमयी प्रशस्तिः। समस्तिवृत्ति (स्त्री०) अजीविका युक्त। (समु० ६/८) (सुद०
१/१५) समस्तु (वि०) समर्थ। (सुद० १३४) समस्तोपधिः (वि०) समस्त परिग्रह। (सुद० ११५७) समस्या (स्त्री०) [सम्+अस्+क्यप्+टाप्] समाचार।
(जयो० ४/१९) ०कठिनाई, पीड़ा, वेदना। (सुद० १०७) (सुद० ८६) मनोरमाया तु कथं सरस्यां सुदर्शनस्येथमभूत्समस्या। (सुद०४/१५) ० भाग पूर्ति, चरण पूर्ति।
घटना (जयो० ११/२०) समस्यावश (वि०) संग्रहणवश। (जयो० ११/१६) समहोत्सवः (पुं०) बड़ा महोत्सव। (सुद० २/२१) समा (स्त्री०) [सम्+अच्+टाप्] वर्ष, संवत्सर, समय।
(सुद० १०९) समा (अव्य०) से, साथ, मिलाकर। समांसमीना (स्त्री०) [समां समां विजायते प्रसूते] प्रतिवर्ष
ब्याने वाली गाय। समाकर्षणार्थ (वि०) [सम्+आ+कृष्+णिनि] आकर्षण, प्रसार
करने वाला। समाकीर्ण (वि०) व्याप्त, फैला हुआ। (सुद० १२८) समाकुल (वि०) [सम्यक्-आकुल:] आकीर्ण, भरा हुआ,
व्याप्त, पूर्ण। ०युक्त। (जयो० १४/८९)
०व्याकुल, क्षुब्ध, खिन्न, उद्विग्न। समाकूतः (पुं०) अभिप्राय। (सुद० ४/५) समाख्या (स्त्री०) [सम्+आ+ख्या+अ+टाप्] यश, कीर्ति,
प्रसिद्धि, ख्याति। (मुनि० २२)
नाम, अभिधान। समाख्यात (भू०क०कृ०) [सम्+आ+ख्या+क्त] ०विख्यात,
प्रसिद्ध
मिला हुआ, मिश्रित, सम्मिलित।
०वर्णित, प्रकथित, प्रतिपादित। समाख्यानं (नपुं०) प्रकथन। (जयो० १२/१४७) समागत (भू०क०कृ०) [सम्+आ+गम्+क्तिन्] मिलाप, साथ
साथ आना। ०पहुंचना, प्राप्त होना।
उपगमन। समागत्य (सं०कृ०) आकर। (सुद० १०८) समागमः (पुं०) [सम्+आ+गम्+घञ्] समागम करना, मेल
करना, मिलना। (सुद० २/२२) विनतिरस्ति समागमनाय मे समुपधामुपयामि तव क्रमे। (जयो० ९/४६) सम्मिलन। (समु० २/१८) संयोग, संगति, साहचर्य, संसर्ग। (जयो० ३/३२)
उपगमन, पहुंच। समागमन (नपुं०) अवतार।
नियोजिनी। (जयो० २०/३४) इन्दुनियोगनी चन्द्रस्यैव समागमनयोग्य। 'तुण्डीरूप-जलाशयेऽवतारः समागमनमपि'
(जयो० ११/५) समाग्निलद्ध (वि०) परस्पर संयोग, एक दूसरे से मिला हुआ।
(जयो० १०/२) समतलतया संयोगं गच्छद्धः। समाघातः (पुं०) [सम्+आ+हन्+घञ्] ०वध हत्या।
०संग्राम, युद्ध, लड़ाई। समाचयनम् (नपुं०) [सम्+आ+चि+ल्युट्] ०चयन करना,
बीनना, चुनना। समाचर् (सक०) आचरण करना, ०अभ्यास करना, पालन
करना। (भक्ति० ३६) समाचर (अक०) व्याप्त होना। (जयो० ६/१३२) समाचरणम् (नपुं०) [सम्+आ+च+ल्युट्] आचरण करना,
पालन करना, अभ्यास करना। समाचार (वि.) [सम्+आ+चर+घञ्] गति, गमन।
अभ्यास, आचरण, व्यवहार।
सूचना, विवरण, वार्ता। समादरशील (वि०) सम्माननीय (जयो० २२/४६) समाचाराधारः (पुं०) पत्र। (जयो०वृ० ३/३५) समाच्छादि (वि०) संयमशील। (वीरो० १/३२) समाच्छादित (वि०) आवृत, ढका हुआ। (जयो० १३/६८)
करना
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