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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समगाल ११४५ समनस्क समन्ततोऽस्मिन् सुमनस्त्वमस्तु पुनीतयाकन्दविधायिवस्तु। (जयो० २१/७५) अतिक्रमण, उल्लंघन। (वीरो० ६/२४) भूल, विस्मृति। समगाल (वि०) अनुभव करने वाला। (वीरो० ५/३६) समतिक्रमरोधः (पुं०) सीमातिक्रमणनिवारण। (जयो० २१/७५) समक्षेत्रं (नपुं०) नक्षत्र क्रम। समतिलोत्तमा (स्त्री०) तिलोत्तमा के समान। (सुद० ४/३८) समगन्धकः (पुं०) धूप। समतीत (वि०) [सम्+अति+इ+क्त] बीता हुआ, गया हुआ। समगसः (पुं०) कारण। (समु० ७/१४) समत्व (वि०) समत्व युक्त। समभाव सहित। समगेय (वि०) स्वरादि से संयुक्त गेय। समत्वहेतु (वि०) तुल्यभाव के कारण वाला। (जयो० १६/३३) समग्र (वि०) [समं सकलं यथा स्यात्तथागृह्यते-सम्+ग्रहन्+ड] | समत्तु-भोजन करने योग्य। (जयो० २/१०७) समस्त, पूर्ण, सम्पूर्ण, पूरा। (सुद० १/३१) समद (वि.) [सह मदेन] मद युक्त, मदहोश। समङ्कित (वि०) लिखित। (जयो० ११/५८) आरोपित। (जयो० । समदत्ति (स्त्री०) श्रद्धापूर्वक पृथ्वी आदि देना। १५/१५, ३/२४) पूरित | समदर्शन (वि०) समदर्शी, निष्पक्ष, समभाव का दर्शन करने समचतुरस्त्र (वि०) समभुज, चतुष्कोण। वाला। समचतुरस्त्रसंस्थानं (नपुं०) अंग-उपांग अधिकृत अवयवों से | समदर्शिका (स्त्री०) समभू। (जयो० २४/१३०) समभाव परिपूर्ण। दर्शिका। शरीरगत अवयवों की रचना। समदर्शिन् (वि०) समदीर्श, निष्पक्षी। समचतुर्भुजा (पुं०) विषमकोण। समदाग्जिन (वि०) प्रकट हुए जिन। (वीरो० ७/१४) समचित्त (वि०) प्रशान्तचित्त, प्रसन्नचित्त। समदुःख (वि०) सहानुभूति रखने वाला। समञ्च (अक०) पूजना, पूजा करना। अञ्चगतिपूजनयो। (सम्य० समदृश् (वि०) पक्षपात रहित। ४/०) समदृष्टसारः (पुं०) उत्तमसारभूत दृश्य। (सुद० २/१९) समजः (पुं०) [सम्+अज्+अप्] पशुओं का झुण्ड, रेबड़। समदृष्टिः (स्त्री०) समदर्शी, निष्पक्ष दृष्टा। समजं (नपुं०) अरण्य, जंगल। समद्धित (वि०) ऋद्धि युक्त। (मुनि० १५) समजाय (वि०) समानता को उत्पन्न हुई। (जयो०६/१२९) | समधारी (वि०) समत्वधारी, समभाव युक्त। (सुद० ३/२१) समजाति (वि०) समान जाति। समधिगम्य (सं०कृ०) पहुंचकर। (जयो० २/१५८) समज्या (स्त्री०) [सम्+अज्+क्यप्+टाप्] समधिक (वि०) [सम्यक् अधिक] ०अत्यधिक, अत्यंत, ०सभा, परिषद। विशाल। ०ख्याति, यश, कीर्ति। ०व्यापक, परिपूर्णता युक्त। समज्ञा (स्त्री०) ख्याति, प्रसिद्धि। समधिकवेशशालिन् (पुं०) समपूर्वक विचरण करने वाला। समञ्जस (वि.) [सम्यक्+अञ्जः औचित्यं यत्र] उचित, | __ अधिकवेग युक्त। (जयो० २१/२१) तर्कसंगत, ठीक। समधिगमनं (नपुं०) [सम्+अध+गम्+ल्युट्] आगे बढ़ना, ०यथार्थ, सत्य। अग्रगामी होना, अग्रसर होना। स्पष्ट। ०जीत लेना, पार कर लेना। न्यायोचित। समधिरुह (वि०) आरुढ़, सवार हुआ। (जयो० २१/६) ०अभ्यस्त, अनुभूता। समधी (वि०) समत्व बुद्धि वाला, प्रशस्त व्रतों से युक्त। समञ्जसं (नपुं०) औचित्य, योग्यता, यथार्थता। अहंकार रहित। समता (स्त्री०) [सम्+तल+टाप] सम रूपता, साम्यभाव, | समध्व (वि०) [समानः अध्वः यस्य] साथ-साथ चलने समभाव। वाला, साथ साथ यात्रा करने वाला। ०मध्यस्थ भाव। समनस्क (वि०) [संज्ञिनः समनस्का:] सम्प्रधारणं संज्ञायां समतिक्रमः (पुं०) [सम्+अतिक्रम्+घञ्] सीमातिक्रमण संज्ञिनो जीवाः समनस्काः भवन्ति। संज्ञा युक्त। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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