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सङ्ख्यात
११२२
सङ्करः
गणना, गिनती। जोड़, संग्रह, गुणन। ०हेतु, समझ, प्रज्ञा।
रीति, पद्धति, विचार, विमर्श। सङ्ख्यात (भू०क०कृ०) [सम्+ख्या+क्त] गिना हुआ, गणना
किया हुआ।
गणित किया गया।
०संख्या का क्रम। सङ्ख्यातं (नपुं०) अंक, गिनती। सङ्ख्याति (स्त्री०) प्रसिद्धि, प्रशंसा। (जयो० ११/८८) सङ्यातीत (वि०) असंख्य, अनगिनत। अगणित। (जयो०वृ०
१/९४) सङ्ख्यावाचकः (पुं०) संख्याबोधक अंक। सङ्गः (पुं०) [सञ्ज+मात्रे घञ्] संसर्ग। (जयो० १२/७६)
सम्मिलन, संगम स्थान। संस्पर्श। मेल, मिलान। संगति, साहचर्य, मैत्री, अनुराग, प्रीति। अनुरक्ति। (जयो०वृ० १/२०)
आसक्ति। मुठभेड़, लड़ाई। सङ्गकृत (वि०) प्रसंग कर्ता। (जयो० १७/२४) सङ्गच्छन् (वि०) साथ चलने का इच्छुक। (सुद० १२३) सङ्गजगं (वि०) गजाकार। (जयो० ८/११) सङ्गडः (पुं०) साधन। (जयो० २/५८) सड़तहा (वि०) रोग देने वाली। संगं ददातीति (जयो० १४/४३) सङ्गणिका (स्त्री०) [सम्+अण्+ण्वुल्+टाप्] श्रेष्ठ प्रवचन,
अनुपम उपदेश। सङ्गत (भू०क०कृ०) [सम्+गम्+क्त] मिला हुआ, जुड़ा हुआ।
स्पर्शित। संसर्गित, सम्मिलित।
संचित, संयोजित, एकत्रित। सङ्गतं (नपुं०) [सम्+गम्+क्त] सम्मिलन, मिलाप, मेल।
०वर्णित। (जयो०वृ० १/११३) ०समन्वित। (जयो० १९/८३) ०समाज, मण्डली। परिचय, मित्रता घनिष्टता।
सुसंवत वाणी। सङ्गतदृष्टि (स्त्री०) आसक्त दृष्टि। (वीरो० २१/२२) सङ्गतात्मन् (वि०) संश्लिष्टात्मन्। (जयो० २४/१९)
सङ्गतिः (स्त्री०) [सम्+गम्+क्तिन्]
०संगम, मेल, मिलना। (सुद० ९१)
संसर्ग, सहयोगिता, साहचर्य। वारीणां किल संस्काराभावतः काऽस्य संगतिः (हित० २३)
मैथुन, संभोग। ०सहावस्थान। (जयो० २/४७) ०दुर्घटना, दैवयोग, आकस्मिक घटना। ०संगत, सम्बंध
०दर्शन करना, बारबार जाना। सङ्गम् (सक०) पहुंचना, जाना-सङ्कमिष्यासि। (दयो० १०४)
आगमन् (जयो० ६/१२९) सङ्गमः (पुं०) [सम्+गम्+अप] मिलना, मेल। (जयो० १३/९१) ०साहचर्य, संगति, सहभागिता। (सुद० ८६)
सहकारिता, परस्परिक सम्बंध। ०संयोग। (जयो० १०/२४) ०संपर्क, स्पर्श। ०मैथुन, रति क्रिया।
योग्यता, अनुकूलन। 'लोपेऽपि गङ्गा-यमुना-सरस्वतीनां सङ्गमः प्रयाग इति सुप्रसिद्धम्' (जयो० ६/१०७)
०अनुरक्ति, अनुराग। (जयो० ४/५५) सङ्गमतीर्थः (पुं०) प्रयागराज। (जयो०वृ० ६/४३) सङ्गमनं (नपुं०) [सम्+गम्+ल्युट्]
मिलना, मेल, संगति। ०साहचर्य। (भक्ति० ९)
संगत, सम्बन्ध। (सुद० ११९) सङ्गमात्तर (वि०) संगम युक्त। (जयो०वृ० ४/५५) सङ्गमान्तरवती (वि०) संगम वाली।
'सङ्गभान्तरं द्वितीयसङ्गमोऽस्या..
अस्तीति सङ्गभान्तरवती युवती। (जयो०७० ४/५५) समित (वि०) प्रशंसा योग्य। संगम के योग्य। (जयो०
५/६१) सङ्गरः (पुं०) [सम्+गृ+अप्] ०प्रतिज्ञा, करार। कलह-नारी-नरयोश्च सङ्गरः। (वीरो० ९/८) रणकार्य। (जयो० ८८६) संग्राम, युद्ध, लड़ाई। (जयो० १/७)
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