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योगेष्टं
८७८
यौगिक
योगेष्टं (नपुं०) सीसा, रांगा। योग्य (वि०) [योगमर्हति यत्, यज+ण्यत् वा] उचित, समुचित,
लायक, उपयुक्त। (सुद० १११) ०सक्षम, उपयोगी। सेवा करने योग्य। अर्हन्, समर्थ। (जयो०१० ४/४०)
* शक्य। (जयो०७० २/१६) योग्यः (पुं०) युक्ति, उपाय। योग्यं (नपुं०) यान, वाहन, सवारी। योग्यता (स्त्री०) [योग्य+तन्+टाप्] ०सामर्थ्य, सक्षमता।
अनुरूपता, समीचीनता। (जयो० २/१०१) दानमुज्झतु भवार्णवसेतु योग्यतैव सुकृताय तु हेतुः। (जयो० २/१०१)
०औचित्य, उपयुक्तता। योग्यत्व (वि०) उचितत्व, सामर्थ्यता। (सुद० ७६) योग्यदेशः (पुं०) उचित स्थान, समीचीन प्रदेश। (सुद० १३०)
कृतोऽपि कुर्यान्न मनः प्रवृत्तिमयोग्यदेशे प्रशमैकवृत्तिः। ।
(सुद० १३०) योग्यधनं (नपुं०) उचित धन, समुचित सम्पत्ति। योग्यधारा (स्त्री०) उचित प्रवाह। योग्यपदं (नपुं०) उचित स्थान, अच्छा पद। योग्यफलं (नपुं०) उपयोगी फल। योग्यभावः (पुं०) समुचित भाव। योग्यभेदः (पुं०) उपयुक्त विवरण। योग्ययोगः (पुं०) योग की उपयुक्तता। (वीरो० २२/१३) योग्यवरः (पुं०) श्रेष्ठ दूल्हा। (जयो०७० ३/६६) योग्यसङ्गमः (पुं०) योग्य सम्बन्ध। (जयो० ३/८८) योग्यसमागमः (पुं०) उचित समागम। (जयो० ५/८७) योज (वि०) नियोजित करना, नियुक्त करना। (जयो०० ।
१/९९) योजनं (नपुं०) [युज् भावादौ ल्युट्] ०विधान। (जयो० ८/३८)
जोड़ना, मिलाना, जोतना। प्रयोग, मिलाना, स्थिर करना।
तैयारी, व्यवस्था (जयो० २/३४) लेखन, प्रतिपादन। | 'योजनं हि जिननामतः पुनः स्वोक्तकर्मणि समस्तु वस्तुनः' (जयो० २/३४)
चार कोस की दूरी का माप। 'चतुः कोशात्मकप्रमाण' (जयो० २८/१०) चतुर्गव्यूतं योजनम्। (त०वा० ३/३८) 'अट्ठहिं दण्डसहस्सेहि जोयणं' (धव० १३/३३९)
योजनपृथकत्व (वि०) योजन को आठ से गुणा करना। योत्रं (नपुं०) रज्जू, रस्सी। योधः (पुं०) [युध+अच्] सैनिक, योद्धा, शूरवीर, जाबाज़,
रणबांकुरे। (जयो० ८/८) संग्राम, लड़ाई, युद्ध। योधगर्भः (पुं०) सैनिक धर्म, सैन्य कर्त्तव्य। योधनं (नपुं०) [युध भावे ल्युट्] युद्ध, संग्राम, लड़ाई। योधिन् (पुं०) [युध्+णिनि] योद्धा, सैनिक, बहादुर। योनिः (पुं०/स्त्री०) स्थान, स्थल, जगह। (जयो० १९/४)
गर्भाशय, बच्चादानी। ०जन्मस्थान, मूलस्थान।
आवास, घर, आधार। कुल, गोत्र, वंश। उत्पत्ति-जीव उत्पत्ति स्थान। 'योनयो जीवोत्पत्तिस्थानानि' (मूला० टी० १२/३) 'यूयते भवपरिणत आत्मा यस्मामिति
योनिर्भवाधारः' (मूलान्टी० १२/५८) योपनं (नपुं०) [युप्+ल्युट्] मिटाना, विलुप्त करना, नष्ट
करना।
० उत्पीड़न, अत्याचार, ध्वंस, नाश। योषा (स्त्री०) तरुणी, स्त्री, बालिका। (जयो० १७/१२९) योषाजनः (पुं०) स्त्रीजन। (जयो० १८/७) 'योषाजनस्य
परिवर्तितनाभिदध्ने' (जयो० १८/२७) योषास्यत् (नपुं०) स्त्रीमुख। 'योषाया आस्यतः स्त्रीमुखात्'
(जयो० २/१४४) योषित (वि०) चेष्टित, चेष्टा युक्त। (जयो० २/१३१) योषित् (स्त्री०) स्त्री, नारी। योषिता (स्त्री०) स्त्री, नारी, महिला। 'योषितां तु जघनं
भवेत्तथा ह्यामपात्रमिव तोयतो यथा। (जयो० २/४२) यौक्तिक (वि०) [युक्तित आगतः-] ०उपयुक्त, योग्य, उचित।
तर्कसंगत, समीचीन, तर्क पर केन्द्रित। तयं, अनुमेय।
प्रचलित, प्रथानुकूल। यौक्तिकः (पुं०) राजा का आमोदप्रिय साथी। योगः (पुं०) योग दर्शन का अनुयायी। यौगिक (वि०) [योग+ठक्] उचित, समीचीन, उपयुक्त।
तर्कसंगत। ०प्रचलित, व्युत्पन्न। उपचार परक। योग सम्बंधी।
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