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शास्त्रदृष्टिः
१०६६
शिक्षापदं
शास्त्रदृष्टिः (स्त्री०) आगम ज्ञान दृष्टि।
०सावधान करना। शास्त्रपरीक्षा (स्त्री०) आगम परीक्षा।
तीक्ष्ण करना। शास्त्रप्रमाणं (नपुं०) आगम सम्मत, आगम प्रमाण। शिः (पुं०) [शि+क्विप] सौम्यता, शान्ति, धैर्य, स्वस्थता। शास्त्रभेदः (पुं०) शास्त्र के भेद शास्त्रं द्विविध-संहिता सूक्तश्च। शिव। विस्तार से देखें-जयोदय महाकाव्य। (२/४१-६७)
कल्याण। शास्त्रयोनिः (स्त्री०) आगम का मूल उद्गम स्थल। शिंशपः (पुं०) [शिवं पाति-शिव+पा+क] शीशमतरु। शास्त्र वार्तासमुच्चयं (नपुं०) एक न्याय ग्रंथ।
०अशोक वृक्षा शास्त्रविद् (वि०) शास्त्रज्ञ, आगमवेत्ता। (वीरो० १७/२४) शिंशपा (स्त्री०) शिप्रा नदी के किनारे स्थित गांव। (दयो०१०) शास्त्रविधानं (नपुं०) शास्त्रविधि, सिद्धांत नियम।
शिक्कु (वि०) [सिच्+कु] सुस्त, आलस्य, उदासीन, प्रमादी। शास्त्रविधिः (स्त्री०) शास्त्रीय नियम, धार्मिक नीति। शिक्थं (नपुं०) [सिच्+थक्] मोम। शास्त्रविप्रतिषेधः (पुं०) शास्त्र विरोध।
शिक्यं (नपुं०) छींका, झोला। शास्त्रविरोधः (पुं०) विरुद्ध आचरण।
शिक्षु (सक०) सीखना, अध्ययन करना, अभ्यास करना, ज्ञान शास्त्रविमुख (वि०) सिद्धांत विमुख।
__लेना। पढ़ाना। (जयो०० २४२) शास्त्रविरुद्ध (वि०) सिद्धांत के विपरीत कथन करने वाला। शिक्षकः (पुं०) शिक्षक, अध्यापक, गुरु। (जयो०वृ० ११/२६) शास्त्रव्युत्पत्तिः (स्त्री०) शास्त्र के विषय की व्याख्या, आगम शिक्षक (वि०) [शिक्ष+णिच+ण्वल] सीख देने वाला, ज्ञान रहस्य का शब्दशः स्पष्टीकरण।
कराने वाला। शास्त्रशिल्पिन् (पुं०) कलामर्मज्ञ।
शिक्षका (स्त्री०) अध्यापिका, गुरुणी। विशेषज्ञा। शास्त्रसारज्ञ (वि०) आगम रहस्य ज्ञाता। श्रुत सार को जानने शिक्षणं (नपुं०) [शिक्ष+ल्युट्] ०अधिगम, ज्ञान, बोध। वाला। (जयो०३०२/८१)
___०अध्यापन, सिखाना, पढ़ाना। (जयो० २/१३६) शास्त्रातिक्रमः (पुं) सिद्धान्त उल्लंघन, धर्मतत्त्व का अतिक्रमण। | शिक्षणकृता (स्त्री०) सरस्वती, वाग्देवी। शिक्षण करोतीति शास्त्रानुष्ठानं (नपुं०) शास्त्रनियम का पालन।
स्त्री, शिक्षण कन्तया वाग्देव्या। (जयो० ५/९४) प्रेमपात्री शास्त्रानुमोदित (वि०) शास्त्र की अनुमोदना करने वाला। | शिक्षणीय (वि०) [शिक्ष अनीयर] ०सीखाने योग्य, अध्यापन, (जयो०७० ३/६६)
कराने योग्य। ज्ञानार्जन योग्य। (जयो० २/१३६) शास्त्राभिज्ञ (वि०) शास्त्रों में निपुण, शास्त्रप्रवीण। ०श्रुतसार शिक्षमाणः (पुं०) [शिक्ष+शानच्] शिष्य, विद्यार्थी, में पारंगत।
* विद्याभिलाषि। शास्त्राम्बुनिधिः (स्त्री०) शास्त्र रूपी समुद्र। (दयो० १/५) शिक्षा (स्त्री०) [शिक्ष+ भाव+अ+टाप्] ०अध्ययन, अधिगम, शास्त्रार्थः (पुं०) आगम ज्ञान का विवेचन।'
ज्ञानाभ्यास। (जयो० ५/४०) शास्त्रिन् (पुं०) [शास्त्र+इनि] शास्त्र कुशल, शास्त्र प्रवीण। अध्यापन, शिक्षण, प्रशिक्षण। शास्त्रिन् (पुं०) शास्त्री, शास्त्रविशेष व्यक्ति। विद्वान्।
सीख, विनय, परीक्षा (सुद० ) शास्त्रीय (वि०) [शास्त्रेण विहितः छ] आगम में निरूपित, शिक्षाकरः (पुं०) शिक्षक, अध्यापक। वेदनिहित शास्त्रानुमोदित। ०श्रुत प्रतिपादित।
शिक्षागृहं (नपुं०) शिक्षा केन्द्र। विद्यालय, शिक्षण संस्थान। शास्य (वि०) [शास्+ण्यत्] उपदेश देने योग्य, शासित किये शिक्षागेहं देखो ऊपर। जाने योग्या
शिक्षाज्ञानकेन्द्रः (पुं०) शिक्षण संस्थान। ०दण्डनीय।
शिक्षादानं (नपुं०) ज्ञानदान। शि (सक०) तेज करना।
शिक्षादायक (वि०) शिक्षा देने योग्य। (जयो०० ७/९६) कृश करना, क्षीण करना।
शिक्षाधनं (नपुं०) विद्याधन। पतला करना।
शिक्षानिर्देशः (पुं०) शिक्षा की दिशा। ० उत्तेजित करना।
शिक्षापदं (नपुं०) शिक्षा स्थान।
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