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शापः
१०६२
शारदः
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शापः (पुं०) [शप्+घञ्] अभिशाप, दुर्वचन, शपथोक्ति।
मिथ्यावचन। दुराशीष। (वीरो० ४/१२)
आक्रोश, अवक्रोश। (जयो० २३/४५) ० पाप-'लग्नस्य वाश्रय भुजः शमने ऽपि पापम्'
(वीरो० २२/२४) शापग्रस्त (वि०) अभिशाप ग्रस्त। शापजन्य (वि०) शाप से घिरा हुआ। शापमुक्त (वि०) अभिशाप मुक्त। शापमुक्तिः (स्त्री०) अभिशाप से छुटकारा। शापमोक्षः (पुं०) शाप से मुक्ति। शापयन्त्रित (वि०) अभिशाप से नियन्त्रित किया गया। शापल (वि०) दुराशिष। (जयो० २७/२४) शापान्तः (पुं०) अभिशाप का अन्त। ०दोषाभाव। शापावसानं (नपुं०) शाप से निवृत्ति। ०दोषों की समाप्ति। । शापाश्रिय (वि०) दुराशीष। (जयो० १६/३७) शापास्त्रः (पुं०) अभिशाप रूपी अस्त्र। शापित (वि०) सुलाया हुआ। (सुद० ३/२२) शापोत्सर्गः (पुं०) आक्रोश का उच्चारण। शाप देना। शापोद्धारः (पुं०) शाप से मुक्ति। शाफरिकः (पुं०) [शफरान् हन्ति-शफर-ठक्] मछली पकड़ने
वाला, मछुआरा। शाबर (वि०) असम्भ, आदिवासी। शाबरः (पुं०) अपराध, दोष। ०पाप, दुष्कर्म, अधम भाव।। शाबरी (स्त्री०) पहाड़ी बोली, प्राकृत की एक उपशाखा। शाब्द (वि०) [शब्द+अण्] शब्द सम्बन्धी, शब्द से व्युत्पन्न।
०ध्वनिगत। मौखिक। मुखरित। शाब्दः (पुं०) वैयाकरण। शाब्दबोधः (पुं०) प्रत्यक्षीकरण, शब्द ज्ञान। शाब्दव्यञ्जना (स्त्री०) व्यंग्योक्ति। शाब्दिक (वि०) [शब्द+ठक्] मौखिक, ०शब्द सम्बंधी। ___०जबानी, वचन से कथित। (जयो० २६/८५) शाब्दिकः (पुं०) वैयाकरण। शामनः (पुं०) [शमन+अण] यम, यमराज। शामनं (नपुं०) वध, हनन, घात।
शान्ति, सुख। नियंत्रण, उपशमन। ०कर्मावरण को हटाना।
शामनी (स्त्री०) दक्षिण दिशा। शामित्रं (नपुं०) [शम् णिच्+इत्रच्] यज्ञ करना। मेघ, बादल। शामिलं (नपुं०) [शमी+ष्लञ्] भस्म, रास। शामिली (स्त्री०) नुच्, सुवा, यज्ञ की भस्म। शाम्बरी (स्त्री०) [शम्बर+अण+ङीप्] जादूगरी, बाजीगर। शाम्बविकः (पुं०) [शम्बु+ठक्] शंखों का व्यापारी। शाम्बुक: (पुं०) घोंघा, शंख, द्वीन्द्रिय जल में उत्पन्न होने
वाला जीव। शाम्भव (वि०) [शम्भु+अण] शिव से सम्बन्धित। शाम्भवः (पुं०) शिव का उपासक।
०कपूर।
शिव पुत्र। शाम्भवं (पुं०) देवदारु का पेड़। शाम्यता (वि०) शान्त पना, धैर्यता। (समु० ३/३६) शायकः (पुं०) [शो+ण्वुल] बाण। तीक्ष्ण तीर।
तलवार। शायिनी (वि०) शयन की-सोने वाली। सोने के पश्चात्
सोती हुई। विश्वैकभानोरुत सप्तशायिनी। (जयो० २२।८८) शार् (सक०) कृश करना, क्षीण करना।
०पतला करना, दुर्बल करना। शार (वि०) चितकबरा, धब्बेदार, चित्तीदार, शवल। शारः (पुं०) पवन, वायु।
रंग-बिरंगा। ०शंतरज का मोहरा। शारङ्गः (पुं०) [शारं अङ्गं यस्य] मोर, मयूर। ०भ्रमर, भौंरा।
०हरिण। ०हस्ति, हाथी।
चातक पक्षी। शारङ्गी (स्त्री०) [शारङ्ग ङीष्] एक वाद्य विशेष। शारद (वि०) [शरदि भवं-अण] शरत्कालीन, पतझड़ से
सम्बंधित। शरद ऋतु से सम्बंधित। (वीरो० २१/१४) विनीत, शर्मीला।
नया, नूतन। शारदः (पुं०) वर्ष। ०संवत्सर।
०नूतन। ०शरत्कालीन। शरदोऽसौ शारदस्तद्वत् अस्ति यः किलानेकधार-बहुप्रकारेणान्यस्यार्थं (जयो० १९/२९) ०ते शारदा गन्ध वहा: सुवाहा। (वीरो० २१/१३)
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