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यानबन्धं
८७३
युक्तपद्धति
यानबन्धं (नपुं०) गति बन्ध, छन्द की विशेषता। (वीरो०
२२/३८) यानपात्रं (नपुं०) नाव, नौका, जहाज। यानभङग् (पुं०) जहाज टूटना। यानि (अव्य०) जबकि, जो कि। (सुद० ९९) यानमुखं (नपुं०) गाड़ी का अगला भाग। यानवाहकः (पुं०) चालक, सारथी। (जयो० ६/६३) यान्त (वि०) आत्मवर्ग, स्वपक्षीय। (जयो० १३/८२) यान्यजनः (पुं०) शिविका वाहक, कहार। (जयो०६/२६) यापनं (नपुं०) जाने देना, निकालना।
निष्कासन, हटाना। सहारा, आश्रय, आधार।
प्रचलन, अभ्यास। यापित (वि०) व्यतीत। (जयो० १८/३२) याप्य (वि०) हटाए जाने योग्य निकालने योग्य। याप्ययानं (नपुं०) शिविका, पालकी। यामः (पुं०) नियंत्रण, विरोध।
धैर्य।
प्रहर, दिन का आठवां भाग। यामघोष (पुं०) मुर्गा। यामलं (नपुं०) [यमल+अण्] जोड़ी, मिथुन। यामवृत्तिः (स्त्री०) पहरा देना। यामवती (स्त्री०) रात। यामि (स्त्री०) बहन। यामिकः (पुं०) पहरेदार, चौकीदार। यामिका (स्त्री०) रात्रि, रजनी। यामिकापतिः (स्त्री०) रजनी। यामिकापतिः (स्त्री०) चन्द्रमा।
०कपूर। यामुन (वि०) यमुना से सम्बन्धित। यामुनेष्टकं (नपुं०) [यमुना+इष्टकम्] सीसा, रांगा। याम्य (वि०) दक्षिणी। याम्या (स्त्री०) दक्षिणीदिशा। यायावरः (पुं०) संत, साधक, परिव्रज्याशील साधु। यावः (पुं०) [यु+अच्+अण] जौ से। तैयार पदार्थ।
०लाख।
लाल रंग, महावर। (जयो० १६/४२) यावकः (पुं०) ०लाख, ०महावर, रक्तवर्ण।
यावकालः (पुं०) प्रभातकाल। (सुद० १०४) यावच्छरीरं (नपुं०) विस्तृत देह। (सुद० १३०) यावत् (वि०) [यद्+वतुप] जितना, जितने। 'यावच्चावच्च
साकल्येऽवधौ मानवधारणे' इत्यमरः। (जयो० १४/३३) 'यावदागमयतेऽथ नरेन्द्रान्' (जयो० ४/१)
जैसे जैसे। (सुद० १०१) सब, समस्त, सम्पूर्ण। जितना बड़ा, जितना विस्तृत।
०जबकि, उसी समय तक। (सुद० २/४४) (सम्य० ४१) यावत्तावत् (वि०) जितना उतना। (दयो० ९५) । यावत्तु (वि०) जैसे जैसे (सुद० १०१) जिस तरह से. जैसे ही।
(जयो०वृ० १२/११९) । यावद्दिन (वि०) जितने दिन तक। (दयो० ४१) दिनमनापि।
(जयो०वृ० १५/१४) (जयो०वृ० ५/१६) यावबलं (अव्य०) अपनी शक्ति के अनुसार। यावमात्रं (अव्य०) इतना बड़ा, इतना विस्तृत।
नगण्य, तुच्छ। यावशक्यं (अव्य०) जहां तक संभव हो। यावसः (पुं०) घास का ढेर।
०चारा।
०खाद्य सामग्री। याशिका (स्त्री०) अभिलाषा। (जयो०० ७/६३) याष्टीक (वि०) लाठी से सुसज्जित। याष्टीकः (पुं०) यष्टि योद्धा। लाठी से लड़ना। यास्कः (पुं०) निरुक्तार। युः (अक०) सम्मिलित होना, मिलना। यु (सक०) बांधना, जकड़ना। युक्त (भू०क०कृ०) [युज्+क्त] ०सम्मिलित, मिला हुआ,
संयुक्त। (वीरो० ५)
सुव्यवस्थित, सहिना ०अञ्चित। (जयोवृ० २/६)
योग्य, उचित, ठीक, उपयुक्त। ०भरा हुआ, तर्क संगत। (सुद० १/२७) युक्तं (नपुं०) युगल जोड़ी। युक्तकर्मन् (वि०) कर्त्तव्य में नियुक्त किया गया। युक्तदण्ड (वि०) उचित दण्ड देने वाला। युक्तन्याय (वि०) समुचित न्याय वाला। युक्तपद्धति (स्त्री०) व्यवस्थित रीति।
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