________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
व्यसनिन्
१०३७
व्याख्याप्रज्ञप्ति
द्यूत--मांस-मदिरा-पराङ्गनापण्यदार-मृगयाचुराश्च ना। नास्तिकत्वमपि संहरेत्तरामन्यथा व्यसनसङ्गला धरा।।
(जयो० २/१२५) व्यसनिन् (वि०) [व्यसन इनि] दुव्यसनी। (दयो० ४१)०अभागा,
भाग्यहीन, दुश्चरित्र शील। व्यसु (वि०) [विगताः असवः प्राणाः यस्य] मृतक, निर्जीव,
अचेतन। व्यस्त (भू०क०कृ०) [वि+अस्+क्त]०वियुक्त, विभक्त।
विक्षुब्ध, कष्टमय, अव्यवस्थित। क्रमहीन, क्रमरहित, विश्रृंखिल। विक्षिप्त, डाला हुआ, फेंका गया।
बिखेरा हुआ, हटाया हुआ। . व्यस्तारः (पु०) गंडस्थल से मद झरना। व्याकरणं (नपुं०) [व्याक्रियन्ते व्युत्पाद्यन्ते शब्दाः येन-वि+
आ+कृ+ल्युट्] विग्रह, विश्लेषण। ०एक ग्रन्थ, जिसमें संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, कृदन्त, तद्धित, समास, सन्धि आदि का स्पष्टीकरण होता है। (जयो०७० १५/३५) (जयो०वृ० १/९५) 'धातुतो भू प्रभृतेरग्रे पुरतो विधिविधान प्रत्ययादिप्रदानलक्षणं येन सः। गुणश्च वृद्धिश्च गुणवृद्धी व्याकरणशास्त्रोक्ते संज्ञे तद्वान्, पुनस्तद्धितं संज्ञातः
संज्ञान्तरकरणार्थं प्रत्ययविधानम्। (जयो०वृ० १/९५) व्याकरणाज्ञानं (नपुं०) शब्द प्रक्रिया का बोध। (जयो०१०१/९५) व्याकरणशास्त्र (नपुं०) व्याकरण ग्रन्थ। (जयो०वृ० ५/४२) व्याकारः (पुं०) [वि+आ+कृ+घञ्] रूपान्तरण, रूपपरिवर्तन।
विरूपता, विवर्णता। व्याकीर्ण (भू०क०कृ०) [वि+आ+कृ+क्त] बिखेरा हुआ, फैला हुआ. विस्तृत किया हुआ।
अस्तव्यस्त किया।
न्यत्र तत्र विक्षिप्त। व्याकुल (वि०) [विशेषेण आकुल:] ०आकुल, खेदयुक्त, विक्षुब्ध। उत्कल। (जयो०वृ० २१/९) घबराया हुआ, दु:खी. पीड़ित। किंकर्त्तव्य विमूढ़, शोकाकुल। (जयो० १२/१२९) आतंकित, उद्विग्न, भयभीत, भयाक्रान्त।
संलग्न, तत्पर, व्यस्त। व्याकुलित (वि०) [वि+आ+कुल+क्त] आतंकित, उद्विग्न,
शोकग्रस्त।
०भयभीत, घबराया हुआ। व्याकुलीभूत (वि०) घबराया हुआ। (जयो०वृ० १/५९) व्याकतिः (स्त्री०) धोखा, छल, छद्मवेश। व्याकृ (सक०) बिगाड़ना, विकृत करना, रूप परिवर्तन करना।
स्पष्ट करना। (जयो०वृ० २/४३)
०स्पष्ट करना, व्याख्या करना। व्याकृत (भू०क०कृ०) [वि+आ+कृ+क्त] विश्लिष्ट, व्याकृष्ट।
०व्याख्यात, कथित, निरूपित। स्पष्ट किया गया, समझाया गया।
विकृत, बिगाड़ा गया, विरूपित। व्याकृतिः (स्त्री०) व्याकरण शास्त्र। व्याकृतिं व्याकरणं
(जयो०१० २/५५) 'व्याकृतेर्व्याकरणस्य सत्क्रिया प्रतिभाति'
(जयो०वृ० १५/३५) व्याक्रोश (वि०) [वि+आ+ क्रुश्+अच्] ०पुष्पित, प्रफुल्लित, खिला हुआ।
मुकुलित, विकसित।
०विकास युक्त। व्याक्षेपः (पुं०) [वि+आ+क्षिप्+घञ्] उछालना, ऊपर फेंकना.
इधर-उधर विकीर्ण करना। अवरोध, गतिरोध, रुकावट।
विलम्ब, उलझन। व्याख्या (स्त्री०) [वि+आ+ख्या+अ+टाप] स्फुटिक्रिया प्राप्त
टीका। (जयो० ३/३६)
स्पष्टीकर, व्याख्या, वृत्ति, टीका, विवरण, टिप्पण, भाष्य।
०वृतान्त, वर्णन। व्याख्यात (वि०) [वि+आ+ख्या+क्त] ०कथित, निरूपित,
प्ररूपित। ०वर्णित, विवेचित।
स्पष्टीकरण युक्त, विवृत, भाष्य युक्त। व्याख्यानं (नपुं०) [वि+आ+ख्या+ल्युट] भाषण. प्रवचन,
उपदेश। (जयो०वृ० १/५५) ०सूचना, वर्णन, कथन।।
स्पष्टीकरण, विवृति, अर्थ निरूपण। व्याख्याकरणं (नपुं०) विवरण, विवेचन। (जयो०१० ५/९५) व्याख्याप्रज्ञप्ति (स्त्री०) एक आगम, जिसमें आठ हजार
प्रश्नों का निरूपण है।
For Private and Personal Use Only