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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वृषाधिरुढः १०२० वेण विभवेन भस्मीकरणसार्थ्यन उपद्रुतस्य छत्तीस संख्या। कामस्य प्राणनाशो नाभूत्' (जयो०वृ० ५/२४) . दुपट्टा, आवरण। वृषाधिरूढः (पुं०) वृषराशि पर आरुढ़। वृहन्निह (वि०) बहुत बड़ा, विशालतम्। (समु० २/५) वृषायण: (पुं०) शिव, गौरेया पक्षी। (वीरो० १२/१) वृहस्पतिः (पुं०) नाम विशेष। वृषाश्रयः (पुं०) धर्माश्रय, धर्माधार, धर्म का सहारा। (समु० वृहस्पतिवारः (पुं०) गुरुवार, एक दिन विशेष। (दयो० ६९) ४/३२) "इतीरितः प्राह मुनिर्महाशयः, स्वपूर्वजन्मश्रवणाद् वे (सक०) ०बुनना, गूंथना, सिलना। वृषाश्रयः" (समु० ४/२२) ०बनाना, रचना, निर्माण करना। वृषिन् (पुं०) मोर। नत्थी करना, इकत्रित करना। ०धर्मी, धर्मात्मन्। जमाना, संग्रह करना। वृषिबोधिन् (वि०) धर्मात्माओं के जानने योग्य। | वेकटः (पुं०) जौहरी, पारिख। "वृषिभिर्धर्मात्मभिः सज्जनैर्बोध्यमनुमननीयम्" (जयोवृ० ०युवा व्यक्ति। १२/१) ०हसोकड़ा। वृषी (स्त्री०) ब्रह्मचारी की शय्या, आसन, कुशासन। वेगः (पुं०) तेजी, गतिशीलता, आवेग। (जयो० १/१९) वृषोपयोगः (पुं०) धर्म का उपयोग। गति, शीघ्रता। वृषोपयोगी (वि०) धर्म को भावना युक्त। नरो न यो यत्र न प्रचण्डता, प्रबलता, प्रमुखता। भाति भोगी, भोगो न सोऽस्मिन्न वृषोपयोगी। (समु०६/३) ०प्रवाह, धारा, झरना। वृष्ट (भू०क०कृ०) बरसा हुआ, झरता हुआ। शक्ति, बल, वीर्य, औजस्विता, क्रियाशीलता। वृष्टिः (स्त्री०) बारिश, बरसात, बौछार। ०संचार। वृष्टिगतक्षेत्रं (नपुं०) बारिश युक्त स्थान। विक्षोभ। वृष्टिजीवन (वि०) सिंचित प्रदेश। वेगजित् (वि०) कोप की प्रबलता को जीतने वाला। 'वेगान् वृष्टिभूः (पुं०) मेंढक। मानसिक-शारीरिकोपद्रवान् जयतीति वेगजिदपि' (जयो० वृष्टिमत् (वि०) [वृष्टि+मतुप्] बरसने वाला, बरसाती। २३/३) बादल, मेघ। वेगनाशनः (पुं०) श्लेष्मा, कफ। वृष्णि (वि०) [वृषेः हि किच्च] ०पाखण्डी, धर्मच्युत। वेगपूर्वक (वि०) संवेग पूर्वक। ०कुपित, अभिमानी। वेगयुक्त (वि०) गतिशीलता युक्त। (जयो०वृ० ५/३) वृष्णिः (पुं०) कृष्ण के पूर्व वंशज। वेगवाहिन् (वि०) स्फूर्ति, तेजी। गतिशीलता। ०अग्नि। वेगविधारणं (नपुं०) गति रोकना। ०इन्द्र। वेगसरः (पुं०) खच्चर। मेंढक। वेगानिलः (पुं०) आंधी प्रवाह, तीव्र पवन वेग। मेघ। वेगिन् (वि०) [वेग+इनि] तेज, स्फूर्ति युक्त, द्रुतगामी, गतिशील, वृष्णिगर्भः (पुं०) कृष्ण। प्रवाहमयी। (जयो० ५/३) वृष्णिपुत्रः (पुं०) कृष्ण। प्रचण्ड, तीव्र। वृष्य (वि०) [वृष्+क्यप्] कामोद्दीपक, बाजीकर, पुंस्त्व बढ़ाने वेगिन् (पुं०) बाज। वाला। ०हरकारा। ०बौंछार युक्त। वेगिनी (स्त्री०) नदी। वेग युक्त प्रवाहिनी, सरिता। वृह (वि०) बहुत, बड़ा, महत्त्वपूर्ण। वेङ्कटः (पुं०) वेंकटाचलं, पर्वत विशेष। वृहती (स्त्री०) [वृहः अति ङीष्] नारद की वीणा का नाम। वेचा (स्त्री०) [विच्+अच्+टाप्] भाड़ा, मजदूरी। मिष्ठान्न विशेष। (जयो०३/६०) वेण् (सक०) जाना, पहुंचना। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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