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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वीथिः १०१४ वीरविक्रमादित्यः वीथिः (स्त्री०) मार्ग, पथ, रास्ता। कुर्यात् क्वापि कदापि जन्म, * पंक्ति , कतार। च निजं पश्येदिदं साधिकम्।। * हाट, आपणिका। वीरचामुण्डराज् (पुं०) नृप विशेष। (वीरो० १५/४०) * नाटक का एक भेद। (मुनि०२८) * राजा चामुण्डराज। वीथिका (स्त्री०) [वीथि+कन+टाप] * मार्ग, पथ, रास्ता। वीरजयन्तिका (स्त्री०) रणनृत्य, रणोत्वन। * चित्रसारिणी, चित्रशाला, कलामंच। ___ * संग्राम, युद्ध। वीध (वि०) [विशेषेण इन्धते-वि+इन्ध्+क्रन्] निर्मल, स्वच्छ, । वीरता (वि०) शौर्य, पराक्रम, शक्तिसम्पन्नता। (जाये० ९/८९) साफ, शुभ। वीरता शक्तिभावश्चेद्रीरुता किं पुनर्भवेत। (वीरो० १०/२९) वीधं (नपुं०) * आकाश, वायु, हवा, अग्नि। चिन्तिं हृदये तेन वीरं नाम वदन्ति माम्। वीनत (वि०) तत्पर। (सुद० १०९) किं कदैतन्मयाऽबोधि कीदृशीमपि वीरता।। वीनतः (पुं०) वैनतय, गरुड़, कृष्ण का वाहन। (सुद० १०९) * तिथि विशेष। (जयो० ६/८८) (वीरो० १०/२८) वीप्सा (स्त्री०) [वि+अप+सन्+अ+टाप्] परिव्याप्ति, शब्द, वीरतरु (पुं०) अर्जुनवृक्षा पुनरावृत्ति। वीरदेवः (पुं०) महावीर। (वीरो० १९/१) वीना (स्त्री०) पक्षी। वीरधन्वन् (पुं०) कामदेव। वीभ (अक०) डींग मारना, शेखी मारना। वीरपट्टः (पुं०) युद्धपट्ट, पराक्रम पट्ट। (जयो० ७/२८) वीर (वि०) [अजेः रक् वीभावश्च] विशेषेण ईरयति क्षिपति वीरपुरुषः (पुं०) शूरवीर व्यक्ति। (जयो०वृ० १/१६) कर्माणीति वीरः (जैन०ल० १०२१) योद्धा, शूरवीर, वीप्रतिवेदन (नपुं०) महावीर की देशना। (वीरो० १४/४४) शक्तिशाली, बलवान्, विक्रान्त। वीरप्रभुः (पुं०) तीर्थकर वीरप्रभु, चौबीसवें तीर्थंकर महावीर वीरः (पुं०) वीर, योद्धा। का अपर नाम। (मुनि० ३४) (वीरो० १३/२०) (सुद० * अभिनेता। १/१) (वीरो० १६/३६) किन्तु वीरप्रभुर्वीरो हेलया तानतीतवान् * अग्नि। वीरो० १/५) विशिष्टा मां लक्ष्मी मुक्तिलक्षणा (वीरो० १०/३६) मभ्युदयलक्षणां वा रातीति वीरः। वीरभगवन (पं०) वीरप्रभ. तीर्थकर महावीर। (वीरो०१/९) * तीर्थंकर महावीर का अपर नाम, चौबीसवें तीर्थंकर का वीरभक्ति (स्त्री०) वीरप्रभु की शक्ति। नाम-निजगाद स विस्मयो गिरा भवि वीरोऽयमितीह देवराट्। वीरभावः (पुं०) सिंहवृत्ति। * वीरता युक्त स्वभाव (वीरो० (वीरो० ७/३१) २२/५१) वीर! त्वमानन्दभुवामवीरः मीरो गुणानां जगताममीरः। वीरभास्वत (वि०) वीरप्रभु रूपी किरण वाला। (वीरो० १५/५३) एकोऽपि सम्पातितममनेक लोकाननेकान्तमतेन नेक।। वीरमति (स्त्री०) पुष्कलदेश के छब्रपुरी के राजा की रानी। (वीरो०१/५) __ (वीरो० ११/३५) वीरकुञ्जरः (पुं०) वीर शिरोमणि, शूरवीर। (जयो० १३/२७) वीर मनुजः (पुं०) शक्तिशाली मनुष्या वीरकीटः (पुं०) निम्न सैनिक। वीरमार्गानुयायिन् (वि०) महावीर के मार्ग का अनुसरण वीरगर्भः (पुं०) वीरप्रभु का गर्भ में प्रवेश। ___ करने वाले। ( वीरो० १५/५८) वीरस्य गर्भेऽभिगमप्रकार आषाढमासः शुचिपक्षसारः। वीरमुद्विका (स्त्री०) पैर का छल्ला, बिछुड़ी। तिथिश्च सम्बन्धवशेन षष्ठी, ऋतुः समारब्धपुनीतवृष्टिः।। वीररसः (पुं०) वीरता से परिपूर्ण भाव। (वीरो० ४/२) वीररजस् (पुं०) सिंदूर। वीरचर्या (स्त्री०) आर्यिकाओं के लिए निषिद्ध एक चर्या। वीरराट समनुदायिन (वि०) वीर प्रभु के अनुयायी। (मुनि० २८) वीरवल्लालः (पुं०) एक राजा का नाम। (वीरो० १५/४१) भूत्वा पूर्ववदाचारेत् सुचरितं, वीरवाचि (वि०) श्रुतकेवली। (वीरो० २२/३) नो वीर्यचर्यादिकम्। वीरविक्रमादित्यः (पुं०) नृप विशेष। (वीरो० २२/१५) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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