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यद् तदा
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यमः
जिस कारण, जिस हेतु।
यन्त्र (सक०) नियंत्रण करना, रोकना। फिर भी।
०बांधना, कसना। (जयो० ११/५८) यद् तदा (अव्य०) स्वेच्छया। (जयो० ९/६८)
०दमन करना, जकड़ना। यदकिञ्चित् (अव्य०) जो कुछ भी नहीं। (जयो० २३/३८) | यन्त्र (नपुं०) [यन्त्र+अच] ०थूणी, खंभा, स्तम्भ। यदन्तिक (अव्य०) पार्श्व भाग में (जयो० २४/९)
०पेटी, बेल्ट, कमरबन्द। यदपि (अव्य०) जो भी, जो कुछ भी। (जयो० १/९८)
चटकनी, कुंडी, ताला। फिर भी। (जयो० ९/१३)
नियंत्रण, बल। यद्वा (अव्य०) कल्पनान्तरे, अथवा, या तथा। (जयो० ११/३६) यन्त्रकः (पुं०) [यन्त्र+ण्वुल्] यांत्रिक, यन्त्र में कुशल। जैसा कि। (सुद० १११)
यन्त्रकं (नपुं०) पट्टी। ०जो कि, इसलिए। (सुद०८९)
यन्त्रकस्थिति (स्त्री०) मन्त्राक्षर। (वीरो० ६/३०) यदा (अव्य०) जब, उस समय। (जयो० २२/४०) जबकि | यन्त्रण (नपुं०) नियंत्रण।
(सुद० ३/४०) 'नवयौवनभूषिता यदा' (समु० २/११४) ०दमन, रोकथाम। यदाकिल (अव्य०) जो कि चूंकि, क्योंकि, जबकि। प्रतिबन्ध, कसना, बांधना। सुदर्शनभुजाश्लिष्टा यदा किल धरातले। (सुद० ८५)
०बल, निग्रह, कष्ट, पीड़ा। यदि (अव्य०) [यद्+णिच् इन्] अगर, जो, ऐसा। (सुद० ०अभिरक्षा।
२/२२) 'प्रत्ययमत्ययकरविद्धि यदि वृद्धि नरत्वम्। जाल, ढांचा। (जयो० २५/२०) (जयो० २/१५४)
यन्त्रणी (स्त्री०) [यन्त्रण+ङीप्] छोटी साली। ०चाहे, तो भी।
यन्त्रभ्रमं (नपुं०) ची घुमाना, पतंग की डोरी। (वीरो० १२/२५) यदिङ्गणं (नपुं०) समुद्गमन। (जयो० १३/२४) उछलते हुए यन्त्रिन् (वि०) नियन्त्रिक।
०सताने वाला। यदिङ्गवशी (वि०) उसके वश में होने वाला। कामोऽपि | यन्त्रिक (वि०) नियन्त्रिक। (जयो० १०/४०) नामास्तु यदिङ्गवश्यः। (सुद० २/४)
यम् (सक०) नियंत्रण करना, दमन करना, बांधना, कसना। यदीदृक् ( अव्य०) ऐसा ही है। (दयो०६९)
०ठहराना। यदीयस् (अव्य०) जिसका यह है, ऐसा जो है। 'यस्य
प्रदान करना, देना अर्पण करना। सम्बंधी यदीयः' (जयो० १/१९, वीरो० १/१)
०थामना, दबाना। यदीयसेवा (स्त्री०) जिसकी ऐसी सेवा। यस्येयं यदीया सा ०उठाना, उन्नत करना। चासौ सेवा चेति। (वीरो० १/१)
०प्रयास करना, घेरना। यदीया (अव्य०) जिसकी। (जयो० १/३०)
०शासन करना, प्रबन्ध करना। यदुः (पुं०) एक अधिपति, यादव वंश का प्रवर्तक।
०पकड़ना, ग्रहण करना। यदुत्कृत् (वि०) अपराध करने वाला। हे सुदर्शन मया यदुत्कृतं रोकना। क्षम्यतामिति विमत्युपार्जितम्। (सुद० ११०)
यमः (पुं०) [यम्+घञ्] संयत करना, नियंत्रित करना। यदेकदा (अव्य०) एक बार। (समु० ४/१४)
नियंत्रण, संयम। (सुद० ३७) यदृच्छा (अव्य०) [यद्+ऋच्छ+अ+टाप्] ०मनपसंद करना, जीवन पर्यन्त का नियम। यावज्जीवं यमो ध्रियते-'यमस्तत्र स्वेच्छा, मनभावी। (सम्य० ७०)
यथा यावज्जीवनं प्रतिपालनम्' (जैन०ल०९४५) संभोग, घटना।
'तदङ्गनाऽहो ध्रियते यमेन तृणवणालीव समीरणेन' यन्तु (पुं०) [यम्+तृच्] निदेशक, शासक।
(दयो० ३८) ०राज्यपाल।
०यमराज। (जयो०वृ० ६/४७) ०चालक. कोचवान, सारथि।
उष्ट्रदेश का राजा। (वीरो० १५/२९)
गमन।
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