SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विरोधभासः ९९५ विलम्बः * घेरा डालना। विलक्षणता (वि०) विलाप भाव वाली, प्रतिकूल स्वभाव * प्रतिरोध करना। वाली। (दयो० १६) * असहमति, असंगति। * असाधारण। विरोधभासः (पुं०) विरोधाभास अलंकार, विरोध की प्रतीति । विलक्षणत्व (वि०) बनावटी, बिना लक्षण वाली। (जयो०१० होना। (जयो०वृ० १/१२) १/३५) (हित० १८) आपाते हि विरुद्धत्वं यत्र वाक्ये न तत्त्वतः। विलक्षणभावः (पुं०) विनाश भाव। (सुद० १०३) शब्दार्थकृतमाभाति स विरोध स्मृतो यथा। (वाग्भट्टलंकार | विलक्षित (भू०क०कृ०) [वि+लक्ष्+क्त] * विकलता गत, ४/२०) 'जिस वाक्य के कहने या सुनने से तत्काल ही व्याकुल होता हुआ। कमलमेत्य पुनः शशिना धृतो शब्द और अर्थ में विरोध उत्पन्न हो, परन्तु वास्तव में मधुकरोऽतिविरौति विलक्षितः।। (जयो०१० २५/२५) किसी प्रकार का भी विरोध न हो वहां विरोधाभास * विश्रुत, प्रसिद्ध, ख्यात। अलंकार होता है। * प्रत्यक्षीकृत, दृष्ट, आविष्कृत। अनङ्गरम्योपि सदङ्गभावादभूत् समुद्रोऽप्यजडस्वभावात्। * विवचेनीय। न गोत्रभित्किन्तु सदा पवित्रः स्वचेष्टितेनेत्थमसौ विचित्रः।। * उद्विग्न। (जयो० १/४१) (जयो०१० ३/३५, २३/३, ६/९३, ८/३६, * विह्वल, व्याकुल। ३/१०८) (वीरो०१/२, १/५, ३/३२) * प्रकोपी, क्रोधित। विरोधाभासालंकारः देखो ऊपर। विलक्षिन (वि०) सर्वसाधारणता (सुद०१/१९) सन्तो विलक्ष्या विरोधिता (वि०) शत्रुता, प्रतिकूलता (जयो० २/७०) हि भवन्ति लाभ्यः सत्र प्रपास्थापनभावनाभ्यः। विरोधिन् (वि०) [विरुध+णिनि] * प्रतिरोध करने वाला. विलग (अक०) अलग होना। (सम्य० १५४) (सुद० १/१९) रोकने वाला। (सुद० ४/३५) विलग्न (वि०) [वि+लस्+क्त] * संलग्न, अवलम्बित, * मिथ-मिथ्या। (जयो०वृ० २/१९) आधारित, आश्रित। * शत्रुतापूर्ण, प्रतिकूल, विरुद्ध प्रकृति वाला। * लगा हुआ, चिपका हुआ, चिपटा हुआ। * प्रतिद्वन्द्वि, असंगत, विरोधी। * निर्दिष्ट, स्थिर किया हुआ। विरोधिन् (पुं०) शत्रु, प्रतिपक्षी। * पतला, सुकुमार। विरोपणं (नपुं०) [वि+रुह ल्युट्] * घाव भरना। विलग्नं (नपुं०) कूल्हा। * रोपना। * कमर। विल् (सक०) ढकना, छिपाना। * आच्छादित करना, आवरण करना। * तोड़ना, बांटना, फेंकना। * धकेलना। विलक्ष (वि०) [विलक्ष अच्] * लक्षण रहित, चिह्न विहीन। * व्याकुल, विह्वल। * आश्चर्यान्वित, अचम्भे युक्त। * लज्जित, शर्मिन्दा युक्त। विलक्षणं (नपुं०) [विगतं लक्षणं यस्य] * सर्वसाधारण। (जयोवृ०६/५४) * भेद युक्त। (जयो०वृ० १/१५) * असाधारण। * भिन्न, इतर। (सम्य० ८४) विलंघनं (नपुं०) [विलंघ् ल्युट्] * अतिक्रमण करना, लांघ जाना। * अपराध, अतिक्रमण, शांत, क्षति, हानि। विलंधित (भू०क०कृ०) [वि+लंघ+क्त] * अतिक्रान्त, व्यतीत, - बीता हुआ। * आगे गया, आगे बढ़ा हुआ। * परास्त, पराजित। विलज्ज (वि०) [विगता लज्जा यस्य] निर्लज्ज, बेशर्म। विलप (अक०) रोना, विलाप करना। (जयो०वृ० ९/७) विलपनं (नपुं०) [वि+लप्+क्त] रोता हुआ, विलाप करता हुआ। विलम्बः (पुं०) [वि+लम्ब्+घञ्] * लटकना, झूलना, ढोलायमान होना। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy