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विनिह्नवः
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विपक्षः
विनिह्नवः (पुं०) निश्छल भाव। (जयो० १५/१००) विनोदवशः (पुं०) हर्षाधीन। (वीरो० २२१३) विनिहितः (पुं०) अपशकुन, धूमकेतु।
विनोदवशंगत (वि०) नर्मवश, विनोदप्रिय हुआ। (जयो०१४/२९) विनीत (भू०क०कृ०) [वि.नी+क्त] * नम्रीभूत, नम्रता युक्त। विनोदशील (वि०) आनन्दप्रिय, हर्षभाव युक्त। * शिष्ट, शालीन, सौम्यतापूर्ण।
विनोदिन् (वि०) विनोदरसिक। (जयो० १८/३८) * सुसंस्कृत, संस्कारयुक्त, सदाचरणशील, नम्रव्यवहारी। विन्द् (सक०) विभक्त होना, विभाजित होना। (सम्य० ४१) (सुद०४/४५)
विन्दल्लभमान (वि.) संदर, रमणीय, कान्तिमय। * सीधा, सरल, शांतचित्त।
(जयो०वृ० ११/१५) * प्रिय, इष्ट, मनोज्ञ, मनोहर।
विन्ध्यः (पुं०) [विदधाति करोति भयम] एक पर्वत विशेष, * आत्मसंयमी, जितेन्द्रिय।
विन्ध्यगिरि। विनीतः (पुं०) विनीत/सधा हुआ।
विन्ध्यकूटः (पुं०) विन्ध्यगिरि का शिखर। विनीतकं (नपुं०) [विनीत+कन्] * यान, वाहन, सवारी,
विन्ध्यगिरि (पुं०) विन्ध्याचल पर्वत। (सुद० ४/१७) गाड़ी।
विन्ध्याचलः (पुं०) देखो ऊपर। * मृदुलोपेत। (जयो० १/१००)
विन्ध्याटवी (स्त्री०) विन्ध्य महावन।
विन्न (भू०क०कृ०) [विद्+क्त] * ज्ञात, परिज्ञात, जाना * मृदुलता युक्त। * ले जाने वाला, वाहक।
हुआ। * शान्त, श्रान्त।
* स्थिर किया हुआ। विनीतत्त्व (वि०) विनम्रापन, नम्रशीलता। (दयो०७०)
विन्नकः (पुं०) [विन्न कन्] अगत्स्य ऋषि का नाम। विनून (वि०) नवीनता रहित। (जयो० २७/३०)
विन्नरः (पुं०) विद्वान् पुरुष। नहि किन्नर एष विन्नरो भवतां विनेतृ (पुं०) [वि+नी+तृच्] नेता, पथ प्रदर्शक।
येन सतामिहादरः (जयो० १०/७९) 'विन्नरोऽयं यतश्च * शिक्षक, अध्यापक।
सतां भवतामिहादरः' (जयो०वृ० १०/७९) * नायक।
विन्यस्त (भू०क०कृ०) [वि+नि+अस्+क्त] * निक्षिप्त, रखा * शासका
हुआ, निवेशित। (दयो० ८७) * प्रशासक।
* न्यास युक्त, धरोहर रूप। विनैव (अव्य०) इसके बिना ही। (सुद० ८६) इसके अतिरिक्त
* जुड़ा हुआ, सम्बंधित। ही। (जयो० १/३१)
* उपस्थित, प्रस्तुत। विनोदः (पुं०) आनन्द, मनोरंजन, खुशी।
विन्यासः (पुं०) [वि+न्यस्+घञ्] * धरोहर, अमानत, न्यास। * कौतुक (जयो० २/१३४) उत्सुकता, उत्कण्ठा।
* सौंपना, रखना, देना। (जयो०१/४)
* संग्रह, समवाय, संकलन। आमोद-प्रमोद, प्रसन्नता, परितृप्ति।
* आश्रय, आधार। _ * रतिबन्ध विशेष।
* क्रमपूर्वक निक्षेप करना। विनोदकृत् (वि०) हर्ष धारक, प्रसन्नता युक्त। (जयो० १८/१) | विपक्तिम (वि०) [वि+पच्+क्तृि+मप्] * परिपक्व, पका
'श्री युक्त पाठक! शृणूत विनोदकृत्ते' विनोदगत (वि०) प्रसन्नता युक्त।
* विकसित, खिला हुआ, पूर्णता को प्राप्त। विनोदगृहं (नपुं०) क्रीड़ा स्थान।
विपक्व (वि+पचू+क्त) परिपक्व, पका हुआ। विनोदनं (नपुं०) [वि+नुद्+ल्युट्] * मनोरंजन, आनंद, कौतुहल। ... * विकसित, प्रफुल्लित, खिला हुआ। * हटाना, निवारण करना।
विपक्ष (वि०) [विरुद्ध पक्षो यस्य] * प्रतिकूल, विरुद्ध, बैरी। विनोदपात्रं (वि०) आनंद का अधिकारी।
___ * परिवादी। विनोदबन्धः (पुं०) रतिबन्ध।
विपक्षः (पुं०) शत्रु, विरोधी, प्रतिद्वन्द्वि। विनोदभावः (पुं०) हर्षभाव, कौतुक। (जयो०वृ० १४८६) * परिवाद। (जयो० २८/३२)
हुआ।
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