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विनिमेषः
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विनिहत
विनिर्वधः (पुं०) [वि+निर्बंध घञ्] आग्रह, दृढ़ता। * अनादर।
विनिर्माणः (पुं०) सृष्टि, निर्माणविधि। (जयो० ११/३०) विनिमयः (पुं०) [वि+नि+मी+अप्] * लेन-देन, क्रय-विक्रय, विनिर्मित (भू०क०कृ०) [वि+निर्+मा+क्त] * निर्माण किया आदान-प्रदान।
हुआ, बनाया हुआ। * अदला-बदली, आयात-निर्यात।
* निर्मित-तैयार किया हुआ। • न्यास, धरोहर, अमानत।
विनिर्मितस्थली (स्त्री०) निर्माण स्थल। (वीरो ७/९) विनिमेषः (पुं०) [वि+नि+मिष+घब] झपकना, आंखों में विनिर्वह् (सक०) निर्वाह करना, चलाना। (जयो० २७/६०) उदासी आना।
विनिवृत्त (भू०क०कृ०) [वि+नि+वृत्+क्त] * लौटा हुआ, विनियत (भू०क०कृ०) [वि+नि+यम+क्त] * नियंत्रित, प्रतिबद्ध, वापिस आया हुआ। (जयो०१० १/२२) विनियमित।
* ठहरा हुआ, थमा हुआ, रुका हुआ। * रोका गया, नियत किया गया।
* मुक्त हुआ, सेवा से हटा, विनिर्वतन। (जयो० ३/२८) विनियमः (०) [वि+नि-यम्+अच्] * नियंत्रण, प्रतिबन्ध, रोका | विनिवृत्तिः (स्त्री०) [वि+नि+वृत्+क्तिने] • अन्त, अवसान, * विराम, गति, प्रतिरोध, गतिरोध।
समाप्ति। विनियुक्त (भू०क०कृ०) [वि-नि+युज्+क्त] * विच्छिन्न, * निवृत्ति, विश्रान्ति, विराम, रोक। पृथक्। खुला हुआ। * स्पष्टगत।
* लौटना, वापिस आना। (सुद० १२६) * समादिष्ट, व्यवहृत, विहित।
विनिश् (सक०) सुनना, श्रवण करना। (जयो० ४/६) विनियोगः (पुं०) [वि+नि+युज+घञ] * विच्छिन्न होना, (समु० २/२३) अलग होना।
विनिश्चयः (पुं०) [वि+निस्+चि+अच्] * निश्चित करना, * प्रश्न करना। (जयो० ४/४४)
स्थिर करना, दृढ़ करना। * छोड़ना, त्यागना, तिलाञ्जलि देना।
विनिश्चन् (वि०) निश्चल, अचल, स्थिर। * कार्याधिभार, कर लगाना।
विनिश्चलावलिः (स्त्री०) निश्चलता को प्राप्त। * विवाही हुई स्त्री से व्याह करना। (दयो० ४१)
स्फटिकाश्मविनिर्मितास्थलीव च नाकस्य विनिश्चलावलि। * रुकावट, अड़चन, बाधा।
(वीरो० ७/९) विनिर्गतः (पुं०) [वि+निर्+गम्+अच्] * निकला, अलग | विनिवर्तत् (वि०) लौटा हुआ, वापिस आया हुआ। (समु०७/३१)
हुआ, बाहर आया। (दयो०४०) संसार-तापोज्जयिसामतोया- विनिवारक (वि०) परिहारक, रोकने वाला। (जयो० ९/५८) विनिर्गताऽर्हत्तुहिनाद्रितो या। (जयो० ४)
विनिविश (सक०) [वि+नि+विश] समीप रखना, पास पहुंचाना। विनिर्गताश्रु (स्त्री०) परिसुताश्रु, निकले हुए आंसु। (वीरो०७/९३) (जयो०१३/१०)
विनिवेद्य (वि०) प्रार्थित, कथित। * आमन्त्रित। विनिर्गतिः (स्त्री०) गमन करण। (जयो० २१/१)
विनिवेदित (वि०) प्रार्थित, कथित। (जयो० २६/३४) (सुद० विनिर्गमः (पुं०) प्रयाण, प्रस्थान। (जयो० १३/३)
११२) विनिर्जयः (पुं०) [वि+निर्-जि+अच] पूर्ण विजय। जितवान्। विनिवेश्य (संक०) समीप लाकर। (वीरो० ७/१३) (जयो०१/६९)
विनिश्वासः (पुं०) [वि+नि+श्वस+घञ्] * सांस लेना, आह विनिर्जित (भू०क०कृ०) [वि+निद्+जि+क्त] पराभूत, परास्त
भरना। किया, विजित हुआ। 'विनिर्जिता खण्डलशुण्डिशुण्डे' * गहरी श्वांस लेना। (जयो० १/२५)
विनिष्पेषः (पुं०) [वि+निस्+विप्+घञ्] * कुचलना, मर्दन विनिजेतुं [वि+निर्-जि+तुमुन्] जीतने के लिए। (जयो० १/६९) करना, मसलना। विनिर्णयः (पुं०) [वि+निर्+नी+अच्] * निश्चय, निर्णीत, * पीसना, चूर्ण करना। निश्चित नियम।
विनिहत (भू०क०कृ०) [वि+नि+ह+क्त] * आहत, घायल। * पूर्ण फैसला।
* मार डाला हुआ, पूरी तरह परास्त किया।
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