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देवदीपः
४९०
देवशत्रुः
लिपि।
देवदीपः (पु०) अक्षि, आंख।
'राग-द्वेष-मलीमस-देवानां सेवा देवमढता' (कार्तिकेया० देवदूतः (पुं०) संदेशवाहक, दिव्य संदेश वाहक।
३२६) देवदुन्दुभिः (स्त्री०) १. दिव्य वाद्य, देवों द्वारा बजाया जाने देवभूयं (नपुं०) इन्द्रपुरी, स्वर्ग। वाला वाद्य विशेष। २. तुलसी पुष्प।
देवभृत् (पुं०) इन्द्र। देवदेवः (पुं०) परम देव. अनन्तगुणों से देव।
देवमणि (स्त्री०) दिव्यमणि, कौस्तुभ मणि। देवर्द्धिः (पुं०) देवर्द्धिगणी नामक श्वेताम्बर आचार्य। (वीरो देवमातृका (वि०) प्रतिपालक माता। २२/६)
देवमानकः (पुं०) कौस्तुभ मणि। देवनदी (स्त्री०) स्वर्ग गंगा।
देवमुनि (पुं०) देवऋषि। देवनन्दी (पुं०) एक आचार्य विशेष।
देवमाला (स्त्री०) दिव्य माला, अमर। अक्षय पुष्पदाम। देवनागरी (स्त्री०) एक लिपि-प्राकृत, संस्कृत आदि की | देवमूर्ति (स्त्री०) देव प्रतिमा। (जयो० २/३०)
देवयजनं (नपुं०) यज्ञभूमि, यज्ञस्थान। देवनिकायः (पुं०) १. देवसमूह, देवस्थान, चारों देवों के समूह देवयजि (वि०) देवों के प्रति आहूति।
जहां स्थित रहते हो। २. देव प्रकार भवनवासी, व्यन्तर देवयात्रा (स्त्री०) देवप्रतिमा की यात्रा, देवोत्सव। ज्योतिषी और वैमानिक देव समूह। ३. अमरगण। देवयानः (नपुं०) देवरथ, देव विमान। (जयो० १/९९)
देवयुगं (नपुं०) सतयुग, सुकाल, अच्छा युगा देवनिन्दक (वि०) देवों की निन्दा करने वाला।
देवयोनिः (स्त्री०) देवों में उत्पत्ति, उपदेव, दिव्य जन्म स्थान। देवनिर्मित (वि०) स्वभाव से बना हुआ प्राकृतिक संरचना। देवयोषा (स्त्री०) अप्सरा। देवपञ्चकः (वि०) देव समर्पित। (जयो० १७/१२७) देवरहस्यं (नपुं०) देवताओं का रहस्य। देवपतिः (पुं०) १. इन्द्र, मेघ. २. राजा। देवो राज्ञि सुरे मेघे | देवराज (पुं०) इन्द्र, (जयो० १२/९९) शक्र। (जयो० २४/२८) इति विश्व। (जयो० २४/४१)
'निजगाद स विस्मयो गिरा भुवि वीरोऽयमितीह देवराट्। देवपथः (पुं०) अन्तरिक्ष, आकाश, स्वर्ग मार्ग।
(वीरो०) (सुद०) देवपुरी (स्त्री०) इन्द्रपुरी, अमरावती।
० राजा-देवराडेव बान्धठयात् सहभावो हि बन्धुता। (जयो० देवपूजनं (नपुं०) देवार्चन, देवपूजा। (जयो० २/२३,
३/७०) 'अनिष्टनाशनं देवानां पूजनं देवपूजन इष्टदेवार्चनमस्तु' ० वज्रि- दधतोऽपि शचीव वज्रिणोरतिकी तनुजा समस्तु (जयो० २/२३)
नः। (समु० २/१७) देवपूज्य (वि०) १. देवों द्वारा पूजित, २.अर्हत्, सर्वज्ञ। देवरूपता (वि०) दिव्यता 'भूभागादपि दीव्यतां देवरूपतां भजत' देवप्रतिकृतिः (स्त्री०) ०देवमूर्ति, ०अर्हतमूर्ति।
(जयो०वृ०३/४६) देवप्रतिमा (स्त्री०) ०देवमूर्ति, अर्हतमूर्ति, इष्टप्रतिमा, | देवलिङ्गं (नपुं०) देव प्रतिमा, जिनप्रतिमा। दिव्यप्रतिबिम्ब।
देववक्त्रं (नपुं०) अग्नि, आग। देवप्रश्नं (नपुं०) विशेष जिज्ञासा, भविष्य के प्रति जिज्ञासा। देववर्मन् (नपुं०) आकाश, नभ। देवबलिः (स्त्री०) देव के प्रति आहूति।
देववर्धिक (वि०) देवता बढ़ाने वाला। देवभवनं (नपुं०) १. देवालय, मंदिर, २. स्वर्ग, ३. गूलर वृक्षा देववाणी (स्त्री०) आकाशवाणी, दिव्य उद्घोष। देवभावः (पुं०) १. दिव्यभाव, श्रेष्ठ विचार, उचित परिणाम। देववाराङ्गना (स्त्री०) अप्सरा। (जयो०वृ० ५/८९)
२. देवत्व प्राप्ति, देवगति में उत्पन्न होना। देवतां देवभावं देवबंदः (पुं०) १. देवदारु, २. शक्रसमूह। (जयो० २१/२८) परिपठन्ति। (जयो० २/२६)
देवव्रतं (नपुं०) धार्मिक अनुष्ठान।। देवभूमि (स्त्री०) स्वर्गभुवन, इन्द्रपुरी।
देववाहनः (पुं०) १. देव विमान, २. अग्नि। देवमूढता (स्त्री०) देवत्व से रहित के प्रति श्रद्धा, राग-द्वेषयुक्त देवव्यूहः (पुं०) देव समूह, देवानां व्यूहे समूहेऽपि। (जयो० ५/१९)
देवों के प्रति श्रद्धा, आप्तता से रहित देव को देव मानना। | देवशत्रुः (नपुं०) राक्षस।
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