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मुक्तिकारणं
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मुखविलण्ठिका
वस्तुतस्तु मद-मात्सर्याद्याः शत्रवोऽङ्गिन इति प्रतिपाद्याः। तज्जमाय मतिमान् धृतयुक्तिरिस्तु सैव सम्प्रति मुक्तिः।। (सुद० ११०) मोक्ष-निर्वाण। (जयो० २/३८) शिव, कल्याण। (जयो०वृ० १/३३) ० छुटकारा, उन्मुक्तता, विमोचन, मुंचन, छूटना, मोचन। ०खोलना, छोड़ना, स्वतंत्र करना। तृष्णा विच्छेद, लोभाभाव।
विषय संयम। मुक्तिकारणं (नपुं०) छूटने का कारण। मुक्तिगत (वि०) मोक्ष को प्राप्त हुआ। मुक्तिदायिनी (वि०) मोक्षप्रदा। जगतः संसारान् मुक्तिं ददातीति
मुक्तिदायिनी मोक्षप्रदाऽस्ति। (जयो० २/३८) मुक्तिधाम (नपुं०) मोक्षस्थान। मुक्तिनगरी (स्त्री०) मोक्षपुरी। (वीरो० २१/२) मुक्तिपात्रः (पुं०) मुक्ति का अधिकारी। मुक्तिफलं (नपुं०) मोक्षफल। मुक्तिभावः (पुं०) मोक्ष भाव। मुक्तिमार्गः (पुं०) मोक्षपथ। मुक्तियोगः (पुं०) मुक्ति का संयोग। मुक्तिलक्ष्मी (स्त्री०) शिवश्री। (जयो०७ १/१३) मोक्षलक्ष्मी
निर्वृत्ति। (सुद० ११३) मुक्ति हेतु (वि०) मुक्ति का कारण। (वीरो० ११/६) मुक्तोपमा (स्त्री०) मुक्ता सदृश। (सुद० ७१) मुक्त्वा (अव्य०) [मुच्+क्त्वा] परित्याग करके, छोड़कर। मुखं (नपुं०) [खन्+अच् डित् धातोः पूर्व मुच् च] मुंह,
लपन, वदन। (जयो०वृ० १३/५, सुद० २।८) आनन (सुद० १०२) 'स्त्रिया मुखं पद्मरुखं ब्रुवाणा' (सुद० १०२) ०चेहरा, मुखमण्डल।
अग्रभाग, पुरोभाग, आगे का हिस्सा। ०प्रधान, अग्रणी। ०प्रमुख, मुख्य। 'श्राद्धतर्पणमुखा समुद्धता'। (जयो० २/८८) धर्म-कर्मणि मुखं गृहीशितुः (जयो० २/९१)
प्रारम्भ। देवपूजनमनर्थसूदनं प्रायशो मुखमिवाप्यते दिनम्।
(जयो० २/२३) मुखकमलं (नपुं०) कमल सदृश मुख। मुखकान्ति (स्त्री०) मुख प्रभा, मुंह की आभा। मुखखुरः (पुं०) दांत।
मुखगंधः (पुं०) मुख की दुर्गन्ध। मुखगन्धकः (पुं०) प्याज। मुखचन्द्रः (पुं०) चन्द्र के समान मुख। मुखचपल (वि०) बाचाल, बातूनी। मुखपेटिका (स्त्री०) मुख पर चपत। मुखचीरिः (स्त्री०) जिह्व, जीभ। मुखजः (पुं०) ब्राह्मण। विप्र। मुखता (वि०) मुख रूपता। (जयो० १/५४) मुखदूषणं (नपुं०) प्याज। मुखदूषिका (स्त्री०) मुहासा।
मुखनिरीक्षकः (पुं०) आलसी, सुस्त, उदासीन, खिन्न व्यक्ति। | मुखनिवासिनी (सत्री०) सरस्वती।
मुखपटः (पुं०) चूंघट, पर्दा। मुखपिण्डः (पुं०) ग्रास, कौर। मुखपूरणं (नपुं०) मुख भरना। मुखप्रसादः (पुं०) प्रसन्नवदन, प्रसन्नमुद्रा। मुखप्रियः (पुं०) संतरा। मुखबंधः (पुं०) भूमिका, प्रस्तावना। मुखबंधनं (नपुं०) भूमिका। मुखभासा (स्त्री०) मुख कान्ति। मुखभूषणं (नपुं०) पान खाना। ताम्बूल, इलायची, सौंफ, ___ लवंग आदि का पान। ०मुखवास। मुखभेदः (पुं०) विकृत बदन। मुखमधु (वि०) मिष्ट भाषी। मुखमार्जनं (नपुं०) मुंह धोना। मुखमण्डलं (नपुं०) बदन। (दयो०५९) आननदेश। (जयो०५/८) मुखमण्डनं (नपुं०) मुंह की शोभा। (जयो० २२/५४) मुखमुद्रणं (नपुं०) मौन। (जयो० १/१११) मुखर (वि०) बाचाल, बातूनी। मुखरिका (स्त्री०) मुखरी, बल्गा। मुखरितं (वि०) [मुखर+इतच्] कोलाहलपूर्ण। मुखरोगहृत् (वि०) मुख रोग को नष्ट करने वाली।
णमो घोरतवाणं (जयो० १९/७४) मुखवन्त्रणं (नपुं०) वल्गा, लगाम की रस्सी। मुखवल्लभः (पुं०) अनार का पेड़। मुखवाद्यं (नपुं०) फूंक मारकर बाजा बजाना। मुखवासः (पुं०) मुंख की गन्ध, मुखभूषण। मुखविलण्ठिका (स्त्री०) बकरी।
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