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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भोग्य ७९९ भौमः के कारण होने पर भी रागजनित आसक्ति को कम करने के लिए जो भोग-उपभोग की संख्या निर्धारित कर ली जाती है। भोग्य (वि०) [भुज+ण्यत्] भोग योग्य, उपभोग्य के योग्य। (जयो० १७/८४) अनुभवनीय। (जयो० ४/३०) भोग्यं (नपुं०) अनाज, वस्तु, पदार्थ, भोजन, वस्त्रादि। भोग्यगत (वि.) उपभोग को प्राप्त। भोग्यगेहं (नपुं०) उपयोग योग्य घर। भोग्यभुज् (वि०) भोगों को भोगने वाला। भोग्यवस्तु (नपुं०) उपभोग योग्य वस्तु। भोग्या (स्त्री०) [भुज्+ण्यत्+टाप्] वीरांगना, वेश्या, गणिका। (समु०६/२७) भोजः (पुं०) [भुज+अच्] भोजराजा, मालवा प्रांत की धारा नगरी का राजा, जो संस्कृत का प्रकाण्ड विद्वान् था, जो दसवीं शताब्दी के अंत में हुआ था। भोजन (नपुं०) [भुज+ल्युट] ०भोक्तृ, खाद्य पदार्थ। (जयो० १२/१२९) आहार। (जयो० २२/४९) जेवन। (जयो० १२/११३) ० भोजन करना। (जयो० ४/२७) ०अशन। (जयोवृ० २/९५) उपयोग करना, उपभोग करना। उद्यत रहना-'ज्ञानामृतं भोजनमेकवस्तु, सदैव कर्मक्षपणे मनस्तु। (सुद० ११७) भक्षण-भोजने भुक्तोज्झिते भुवि भो जनेश्वरि (सुद०८९) रस। (जयो० २२/४९) भोजनकालः (पुं०) आहार समय। ०अशन काल! भोजनत्यागः (पुं०) आहार परित्याग। भोजन-भाजनं (नपुं०) जीमन का पात्र, जेमनपात्र। (जयो० १२/११३) भोजनभूमिः (स्त्री०) आहार स्थान। भोजनकक्ष, रसोईघर। भोजनमोद (वि०) आहार में आनन्द। भोजनविशेषः (पुं०) रसयुक्त आहार, स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ। भोजनवृत्तिः (स्त्री०) आहार चर्या, आहार गवेषणा। भोजनव्यग्र (वि०) खाने में व्याकुल। भोजनव्ययः (पुं०) भोजन खर्च। भोजनसामग्री (स्त्री०) रसवती, रसोई। (जयो० १२/१२३) खाद्यसामग्री। भोजनालय (नपुं०) भोजनशाला, रसोईघर। भोजनालाभः (पुं०) भैक्ष्यशुद्धि में व्यवधान, भोजन के समय का उल्लंघन। (जयो० २७/३२) भोजनीय (वि०) [भुज+अनीयर] ०खाने योग्य, भक्षणीय। भोजनीयं (नपुं०) आहार। भोजयितृ (वि०) [भुज+णिच्तृच्] भोजन कराने वाला। भोजनोपकृति (स्त्री०) भोजन पात्र। भोजनमशनमुपकृति वस्त्रपात्राद्युपकरणम्। (जयो०१० १/९५) भोज्य (वि०) [भुज्+ण्यत्] उपभोग योग, खाने योग्य। भोगने योग्य, अनुभव करने योग्य। भोज्यं (नपुं०) भोजन, आहार, अशन। (जयो० ४/१०) ०खाद्य पदार्थ (जयो०वृ०१२/१२४) निरामिषाशीनाकेनाप्यङ्गभाजा विवेकिना।। सम्पन्नमोदनादि तु समश्नातु सुधीजन:।। (हित०सं० ४८) चैकदाऽशनम् (हित० ४८) भोज्यपदार्थ (नपुं०) भोजन सामग्री, खाने योग्य पदार्थ। (हित० ४८) भोज्यसामग्रीयुक्त (वि०) विविध खाद्य पदार्थ श्रोणी महती सैव मोदको संकुचरूपौ, त्रिवलिर्जवलेविका कपोलौ घृतवरभूपौ। अधरलता रसगुल्लेति परिणामसुरम्यास्मित पयसा मधुरेण रसवतीयं बहु गम्या।। (जयो० ३/६०) भोज्या (स्त्री०) [भोज्य+टाप] भोज की रानी। भोस् (अव्य०) [भा डोस्] (सुद० ७८) अरे, भो, हे, अहो, आह, ओ अर्थ है। 'भो भो वनराज देव! (वीरो० ५/२६) भोजङ्ग (वि०) [भुजङ्ग अण्] सर्पिल, सर्प सदृश। भौत (वि०) [भूतानि प्राणिनोऽधिकृत्य प्रवृत्त तानि देवता वा अस्य अण] जीवित प्राणियों से सम्बंध रखने वाला। भौतिक (वि०) [भूत+ठक्] जीवित प्राणियों से सम्बन्ध रखने ___वाला। मौलिक, भौतिक तत्त्व, लौकिक। भौतिक विद्या (स्त्री०) जादूगरी, आधुनिक शिक्षण, विज्ञान-गणितादि की विद्या। भौम (वि.) [भूमि+अण्] पार्थिव। पृथिवी पर होने वाला। * मिटटी से सम्बन्धित। भौमः (पुं०) मंगलग्रह। (जयो०८/२०) ०जल, प्रकाश। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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