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भद्रबलनः
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भयानक
भद्रबलनः (पुं०) बलराम। ०बलदेव। भद्रबाहु (पुं०) एक प्रसिद्ध जैनाचार्य। 'स भद्रवाहोर्निकटे
मुनिर्भवन्' (समु० ४/३१)
०श्रुतकेवली। (वीरो० २२/२) भद्रभावः (पुं०) उत्तम भाव, श्रेष्ठ भाव। (हित० ७) प्रभोर्जन्मनि
लोकानामाशयो भद्रभावभाक्। (हित० ७) ०भद्र विचार। (सुद० ११३) 'निशम्येद् भद्रभावात् स्व
प्राणेश्वरभाषितम्। (सुद० ११३) भद्रमित्र (पुं०) श्री पद्मखण्ड नगर के सुदत्त वैश्यवर एवं
सुमित्रा का पुत्र। (समु० १/३०) श्रीभद्रमित्रो मृदुचित्तलेशः'
(समु० ३/१) भद्रमुख (वि०) हंसमुख, हर्षित वदन वाला। महोदय/महानुभाव। भद्रमृगः (पुं०) उत्तम हस्ति। ०श्रेष्ठ जाति का हिरण। भदरेणुः (पुं०) ऐरावत हस्ति। भद्रवर्मन् (पुं०) नवमल्लिका। भदशाखा: (पुं०) उत्तम टहनियां। भदशील (वि०) उत्तमाचरण। (दयो० ७६) ०शुभाचरण। भद्रश्रयं (नपुं०) चन्दन तरु। भद्रश्रियं देखो ऊपर। भद्रश्रीः (स्त्री०) चंदन तरु। भद्रसालं (नपुं०) भद्रसाल नामक वन। (भक्ति० ) भद्रा (स्त्री०) [भद्र+टाप्] गाय।
स्वर्ग गंगा। तिथि विशेष। भद्रानामतिथिर्द्वितीया वास्ति। (जयो०६/८८) ०प्रभास गणधर की माता, राजगृह के राजा बल की
भार्या। (वीरो० ४/१२) भद्राकारः (पुं०) श्रेष्ठ छवि। भदाकृतिः (स्त्री०) मनोरम आकृति, रमणीय मूर्ति। भद्राचरणं (नपुं०) उत्तम आचरण। ०शुभध्यान, उत्तम चरित्र। भदात्मजः (पुं०) तलवार। भ्रदाप्रतिमा (स्त्री०) पूर्वादिक् में स्थित मनोज्ञ प्रतिमा।
(दयो० १११) भदाव्याख्या (स्त्री०) सिद्धांतगत विवेचन। भद्रासनं (नपुं०) राजगद्दी, सिंहासन। सुखासन। भद्रिका (स्त्री०) [भद्रा कन्+टाप्] ०ताबीज। ०दोयज। भद्रिलं (नपुं०) [भद्र इलच्] समृद्धि, सौभाग्य। कंपनशील। | भम्भः (पुं०) [भम्भा +क] ०मक्खी। ०धुआं।
भम्मारवः (पुं०) [भम्मा+रु+अच्] गाय का रंभाना। भयं (नपुं०) [विभेत्यस्मात्भी-अपादाने अच्] डर, आशंका,
आतंक। संकट, जोखिम, खतरा। त्रास, व्याधि। ०भीति। इहलोक, परलोक, वेदना, अरक्षा, अगुप्ति, मरण, अकस्मात्
भय। (सम्य० १/१) भयकारक (वि०) भयपूर्ण, कष्टदायक। (जयोवृ० १/३५) भयङ्कर (वि०) भयानक, कष्टदायी, संकटपूर्ण। (सम्य० १/१) ०भीतिकरी-दुःखदायिनी। (जयो० २/५९)
दारुण-सङ्गमितोऽप्यभयंकरः। (समु०७/२९) भयडिण्डिमः (पुं०) युद्ध में प्रयुक्त होने वाला वाद्य, ढोल,
मारूवाद्य। भयदायक (वि०) भय उत्पन्न करने वाला, पीड़ादायक,
कष्टदायक। (दयो० ५०) (जयोवृ०८/७) भयद्रुत (वि०) पराजित, भागा हुआ। भयनाशक (वि०) कष्ट को नष्ट करने वाला, पीड़ाहारक,
दुःखहर्ता। (जयोवृ० २/३१) भयपूर्ण (वि०) भयकारक, कष्टजन्य। (जयो०वृ० १/३५) भयप्रद (वि०) भयानक, भय उत्पन्न करने वाला, भयकारक। भयभीत (वि०) भयाढ्या (वीरो० ३/४) दरि, भययुक्त।
(जयो०वृ० १/१९) भयभृत (वि०) सतर्क, सावधान। (जयो० २५/८७) भयवर्जित (वि०) भयभीति। (जयो० २/१५३) भयविनय (वि०) अनुकूल प्रवृत्ति। भयविप्लुत (वि०) दुःख से घिरा हुआ। भयव्यूहः (पुं०) भयचक्र। ०कष्ट युक्त घेरा। भयसंज्ञा (स्त्री०) भीतिरूप परिणाम, भय की अधिकता,
त्रासरूप। 'भयसंज्ञा, त्रासरूपा। भयहर (वि०) भयनाशक, कष्ट हरण करने वाला। (सुद०५/१) भयाढ्य (वि०) भयानक, भयकारक। (सुद० १/२३) भय से
आढ्य-भयभीत, भय से संयुक्त। (सुद० ७७) भयाद्वय (वि०) भयभीत, डरा हुआ। (वीरो०८/४) भयातुर (वि०) डरा हुआ, दुःख से पीड़ित। (जयो० ८७) भयानक (वि०) भयकारक, भयातुर। भीषण, भयजनक।
(जयो०वृ०८/६)
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