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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भट्टिनि ७७३ भद्रपीठं विज्ञजनों को प्रेरित करने वाला। भदाकः (पुं०) सौभाग्य, सम्पन्नता। पण्डितों को प्रेरित करने वाला। भद्दिला (स्त्री०) कोल्लाग ग्राम के धम्मिल्ल ब्राह्मण की भार्या। महामनस्वी, प्रभावशाली। (वीरो० १४/६) शास्त्रज्ञ, कलामर्मज्ञ। भन्दता (वि०) भला, यथेष्ठता। (सुद० ४/१४) 'भट्टान् पण्डितान, अरयति प्रेरयतीति भट्टारकः।' भभभाजनम् (नपुं०) अस्पष्टवाणी। (जयो० १६/५०) (जैन० ल० वृ० ८३३) भद्र (वि०) [भन्द्र क] भला, सुखद, समृद्धशाली। भट्टिन (स्त्री०) [भट्ट+इनि+ङीप्] रानी, राजकुमारी। उत्तम, शिव। (जयोवृ० १/५) (समु० ३/४४) प्राज्ञी, विदुषी। ०प्रमुख, प्रधान, सर्वोत्तम, मुख्य। नाटकों में दासियों द्वारा रानियों को सम्बोधन। यथेष्ट, श्रेष्ठ, सहृदय। उच्चपद पर प्रतिष्ठित नारी। कृपालु, सौहार्दपूर्ण। भट्टिनी देखो ऊपर। ०अनुकूल, मंगलप्रद। भडः (पुं०) [भण्ड्+अच्] एक जाति विशेष। ०स्तुत्य, श्लाघनीय, प्रशंसनीय। भडिलः (पुं०) नेता, नायक, योद्धा। प्रियतम, प्यारा। ०भृत्य, सेवक। ०कल्याण (सुद० १३७) शुभ, इष्ट। भण (सक०) कहना, बोलना। बभाण। (जयो० २/१४१) ०सद्धर्मशीला। भद्रेत्वमद्रेरिव मार्गरीतिं प्राप्ता किलास्य वर्णन करना, प्रतिपादन करना। प्ररुपण करना। (सम्य० प्रगुणप्रणीतिम्। (सुद० १२१) १३५) (सुद० ४/१४) ०भाति शोभते स्वगुणैर्ददाति च प्रेरयितुश्चित्तनिर्वृत्तिमिदि कथन, प्रतिपादन, वचन। भद्रः। (जैन०ल० ८३३) ०बोलना, कहना। भद्रकः (वि०) ०शुभ, यथेष्ट, श्रेष्ठ। प्रवचन। निरूपण। प्रतिपादन। मंगलमय, मनोहर, रमणीय। भणित (वि०) कथित, प्रतिपादित। भद्रक (पुं०) देवदारु का वृक्ष। भणित्वा (भण्+क्त्वा) कहकर। (सुद० ७०) भद्रकारक (वि०) मंगलप्रद। ०कल्याण कारक। सुखद। भण्ड् (अक०) छिड़कना, बोलना। भद्रकुम्भः (पुं०) पवित्रजल का घट। मंगलकलश। खिल्ली उड़ाना। भद्रकर (वि०) समृद्धकारी, सम्पत्ति प्रदाता। व्यंग करना। भद्रघटः (पुं०) कल्याणकारी घट। ०बोलना। भद्रता (वि०) सहृदयता, लोककल्याणकारी दृष्टि वाला। उपहास करना, मजाक उड़ाना। भोलापन। मत्तोऽप्यवित्तविधिरेष मयोपकार्यः किन्नेति चेतसि भण्डः (पुं०) [भण्ड्+अच्] विदूषक, भाण्ड। स भद्रतया विचार्य। (सुद० ४/२४) भण्डकः (पुं०) [भण्ड्+कन्] खंजन पक्षी। भद्रताकारी (वि.) कल्याणकारी, उपकारी। भण्डनं (नपुं०) [भण्ड्+ल्युट] ०कवच, बस्तर। 'जयतज्जगतीत्येवमस्माकं भद्रताकारी' (वीरो०१०/२६) ___ उत्पात, दुष्टता। भद्रतापस् (वि०) श्रेष्ठ तपस्वी। उत्कृष्ट तप करने वाला। भण्डिल (वि०) [भण्ड्। इलच्] ०सौभाग्यशाली, सुखद, श्रेष्ठ। | भददानं (नपुं०) उत्तम दान। यथोचित पात्रदान। प्रसन्नता, कल्याण। भद्रदेशिका (स्त्री०) भद्र उपदेशिका। आत्मकल्याणकारी भण्डिल: (पुं०) गुप्तचर, दूत, संदेशवाहक। उपदेशिका। (जयो० ३६) प्रवचन पटु। ०कारीगर, दस्तकार। भद्रनामन् (पुं०) खंजनपक्षी। भदन्तः (पुं०) श्रेष्ठ, सज्जन। जैन एवं बौद्ध आगमों में भद्रपरम्परा (स्त्री०) यथेष्ट परम्परा। 'ख्यातिगतो भद्रपरम्परायां सज्जनों के उद्बोधन के लिए 'भदन्त' शब्द का प्रयोग नालीकवागित्यसको धरायाम्। (समु० ३/२३) होता है। भद्रपीठ (नपुं०) राजगद्दी, सिंहासन। सुखासन। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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