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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बलाका ७५६ बहल बलाका (स्त्री०) प्रिया, कान्ता। बलिन् (वि०) बलिष्ठ, बलवन्त, शक्तिसम्पन्न। (जयो० १२/६०) बलाकिका (स्त्री०) [बलाका+कन्+टाप्] छोटी जाति का बलिपर्वः (पुं०) यज्ञकरण, आहूति। (जयो०१० ११/२६) बगुला। बलिनन्दनः (पुं०) लोध्र तरु, लोध्र वृक्षा बलाकिन् (वि०) [बलाका+इनि] सारसों का परिपूर्ण। बलिपुत्रः (पुं०) लोध्र वृक्षा बलात् (वि०) बलपूर्वक, शक्ति से, हिंसापूर्वक हठात। बलिपुष्टः (पुं०) काक, कौवा। (जयो० २/१९) बलिप्रदानं (नपुं०) यज्ञकरण। (जयोवृ० ११/२६) बलात्कारः (पुं०) [बल+अत्+क्विद्] ०अत्याचार, दुराचार। बलिप्रियः (पुं०) काक, कौवा। सतीत्वभंग, जबरन छीना झपटी। बलिबन्धनः (पुं०) विष्णु। विनम्रतट का विनाश। बलिभुज् (पुं०) काक, कौवा। हिंसा प्रयोग। अपहरण पूर्व सतीत्व नष्ट करना। बलिमंदिरं (नपुं०) बलि स्थान। बलात्कृत (वि०) [बलात्कृ+क्त] अत्याचार किया हुआ। बलि रत्नत्रयं (नपुं०) उत्तम तीन रेखाएं, मस्तिष्क रेखाएं। बलात्क्षत (वि०) बलात्कार से भ्रष्ट। बलात्क्षतोतुङ्गानितम्बबिम्बा (सुद० १२२) मदोद्धतैः सिन्धुवधूढेिपेन्द्रैः। (जयो० १३/९६) बलिवर्ट्स (पुं०) बैल। बलाधिराट् (पु) सेना पति, सैन्यनायक। बलिव्याजत् (वि०) रेखाओं के छल से। त्रिबलिनामावयवच्छलात् 'षट्खण्डिबलाधिराडितः' षट् खण्डिनश्चक्राधिपतेर्बल- (जयो० ११/९७) स्याधिराट् (जयो०वृ० १३/४६) बलिसंप्रयोगः (पुं०) पूजा सम्बंधी द्रव्य का प्रयोग। पूजा बलायितक (वि०) बल के आधीन, सैन्याधीन आत्मा। द्रव्यस्य सम्प्रयोगे सम्पर्के। (जयो० ८/७९) बलस्यायित आधीनः क आत्मा यस्य तस्य किल। (जयो० बलिष्णु (वि०) अनाहत, अपमानित, तिरस्कृत। ४/८) बली (वि०) बहादुरी (समु०२/६) बलिष्ठता। (समु० ४/२३) बलाहकः (पुं०) [बल+हा+क्कुन] मेघ, बादल। (जयो० | बलीकः (पुं०) [बल्+ईकन्] छप्पर की मुंडेर। ७/७०) 'बलस्य स्वागतकारको मेघो वा' बलीत (वि०) बलशाली। (समु०६/४१) बलाहकबलाधान (वि०) मेघ गर्जन के भ्रम से-बलाहकानां बलीमुखः (पुं०) वानर, बन्दर, कपि। (जयो० ७/७७) मेघानां बलाधानात् मेघगर्जनभ्रमात्' (जयो०१० ३/१११) | बलीयस् (वि०) बलवान्, शक्ति सम्पन्न। बलाहकावलिः (स्त्री०) निर्जल मेघ पंक्ति, मेघ समूह। अधिक शक्तिशाली, अत्यधिक प्रभावी। 'बालहकानां निर्जलमेघानामाबलि: पक्तिर्यस्य सः' (जयो०वृ० बलीयसी (स्त्री०) बलवती, शक्तिशाली। (जयो० ७/४०) २४/२९) __(वीरो० २१/४) 'नीतिरेव हि बलाद् बलीयसी' (जयो०७/७८) बलिः (स्त्री०) [बल+इन्] ०आहूति, समर्पण, चढ़ावा। बलीवर्दः (पुं०) सांड, बैल। ०भेंट, उपहार। बलीवीर्यः (वि०) बलशाली। पूजा। बलिं पूजां स्वकीयां तनुमिव। (जयो०वृ० २४/८) बलोद्धत (वि०) गमन युक्त सेना से परिपूर्ण। बलेन सेनासमूहेन ०बलिष्ठ, योग्य, शक्तिमान्। (जयो० २/११२) गमनेनोद्धृतं गमन व्याप्तम्' (जयो० १३/२५) बलि (पुं०) बलि राजा। 'बलेः पुरं वेद्भि सदैव सपैः' (सुद०१/३०) बल्य (वि०) [बल्+यत्] ०दृढ़, शक्तिसम्पन्न, बलशाली। बलिकर्मन् (वि०) पूजा कर्म करने वाला, आहूति देने वाला। बल्यं (नपुं०) शुक्र, वीर्य। बलित्रि (स्त्री०) तीन रेखाएं। (सुद० २/४३) बल्लव: (पुं०) [बल्ल+अच्+तं वाति वा+क:] ग्वाला, गोपाल। बलित्रय तीन रेखाएं। ०रसोइया। बलिदानं (नपुं०) समर्पण, आत्म आहूति, बल्लवी (स्त्री०) ग्वालिन, गोपी। बलिदानर्थ (वि०) यज्ञार्थ। (वीरो० १/३०) समर्पण के | बल्हिका (स्त्री०) एक देश विशेष। लिए। बस्तः (पुं०) [बस्त्+घञ्] बकरा, अज। बलिध्वंसिन् (पुं०) शक्तिधर, विष्णु। बहल (वि०) [वह्+अलच्] बहुत। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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