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प्रसादन
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प्रसिद्धतपस्वी
०सान्त्वना देना, धैर्य बंधाना। ०प्रसन्न करना, संतुष्ट करना।
•तुष्ट करना, कल्याण करना, अनुग्रह करना। प्रसादन (वि०) [प्र+सद्+णिच्+ण्वुल] ०आनन्दित करने वाला,
प्रसन्न करने वाला। ० धैर्य बंधाने वाला, विशुद्ध करने वाला।
नम्र, प्रसन्नता। (जयो० ११/३५) प्रसादना (स्त्री०) शुद्धिकरण, पवित्रीकरण।
सेवा, अर्चना। प्रसादविधि (स्त्री०) प्रसम्यता का भंडार। (जयो० १/१०५) प्रसादयितु [प्रसिद्+णिच्+तुमुन्] संतुष्ट करने के लिए।
(वीरो०८/३५) प्रसादित (भू०क०कृ०) [प्रसिद्+णिच्+क्त] ०पवित्र किया
हुआ, स्वच्छ किया हुआ। ०खुश किया हुआ, प्रसन्न किया हुआ।
धीरज बंधाया हुआ, सान्त्वना दिया हुआ। प्रसादितमानस् (नपुं०) प्रसन्नता युक्त मन। (जयो० १/१०१) प्रसादिनी (स्त्री०) आनन्ददायिनी, हर्षप्रदायिनी। (वीरो० १/१)
द्राक्षेव मृद्धी रसने हृदोऽपि प्रसादिनी नोऽस्तु मनाक् श्रमोऽपिप्रसाधक (वि०) [प्र+साध्+ण्वुल्] स्वच्छ करने वाला, शुद्ध
करने वाला। पवित्र करने वाला। अलंकृत करने वाला, सजाने वाला।
निष्पन्न करने वाला, पूर्ण करने वाला। प्रसाधकः (पुं०) पार्श्वचर।
०शृंगार करने वाला सेवक। प्रसाधनं (नपुं०) [प्र+साध ल्युट्] निष्पन्न करना, पूर्ण करना।
व्यवस्थित करना, विभूषित करना, अलंकृत करना, अलंकरण करना। (जयो० १०/४३) प्रतिकर्म। (जयो०वृ० १०/३२)
शरीर सज्जा, वस्त्राभूषण पहनना। (जयो० ३/१०५) प्रसाधनः (पुं०) कंघी। प्रसाधनविधिः (स्त्री०) शृंगार, सजावट। प्रसाधनविशेषः (पुं०) विशेष अलंकरण। प्रसाधनी (स्त्री०) कंघी। (जयो०वृ० १०/३२) प्रसाधिका (स्त्री०) [प्रसाधक+टाप् इत्वम्] सेविका, |
अलंकरणिका। प्रसाधित (भू०क०कृ०) [प्र+साध्+क्त] निष्पन्न, पूर्ण, |
कार्यान्वित।
विभूषित, अलंकृत, सुसज्जित। (जयो०वृ० १०/३२) प्रसाद्य (सं०कृ०) अलंकृत्य, सजा करके। (जयो०वृ० १/३६) प्रसारः (पुं०) [प्र+सृ+घञ्] ०प्रसारण, विस्तार, फैलाव,
प्रसूति। ०फैलाना, विस्तार करना। बिछावन। ०छाया (सुद० १३२) आसार (जयो० ६/५१) परिणाम-'कान्त्याः परिणामः प्रसारो यत्र' (जयो०७०
५/२६) प्रसारणं (नपुं०) ०प्रचारण। प्रचारणा मुहुर्मुहुः प्रकटीकरणं
पक्षे क्रमशः प्रसारणं येषां ते। (जयो० ३/१७) विस्तार करना, फैलाना, प्रसारण। प्रसूति, उत्पत्ति। ईंधन और घास फैलाना।
सम्प्रसारण भाव। प्रसारिणी (स्त्री०) [प्र+सृ+णिनि+ङीप्] शत्रु को घेरना। प्रसारित (भूक०कृ०) [प्र+सृ+णिच्+क्त] विस्तारित, प्रसृत किया गया।
प्रसार किया गया, फैलाया गया। ०बढ़ाया हुआ।
प्रदर्शित किया हुआ, रक्खा गया। प्रसार्यताम् फैलाया गया, देखा गया। (जयो० १३/३८) प्रसाहः (पुं०) [प्र+सह्+घञ्] जीत लेना, पराजित करना। प्रसित (भू०क०कृ०) [प्र+सि+क्त] संलग्न, व्यस्त।
०लालायित, इच्छुक। •तुला हुआ, संलग्न।
०बांधा हुआ, कसा हुआ। प्रसितं (नपुं०) पीव, मवाद। प्रसिति (स्त्री०) [प्र+सि+क्तिन्] ०जाल, घेरा।
०पट्टी, बंधन। प्रसिद्ध (भू०क०कृ०) [प्र+सिध्+क्त] विश्रुत, विख्यात।
अलंकृत, सुसज्जित, विभूषित। 'प्रकर्षण सिद्ध सिद्धिमापन्नं तत्तस्मादेव दिव्यस्य' (जयोवृ० १/३४) प्रसिद्धा न तु
विबुधस्य सिद्धिरनेकान्तस्य। (सुद०९१) प्रसिद्धगोत्र (वि०) ख्यातवंश, उत्कृष्टता को प्राप्त हुआ वंश। प्रसिद्धजाति (स्त्री०) ख्याति जाति। प्रसिद्धतपस्वी (वि०) तपस्या के लिए प्रसिद्ध हुआ।
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