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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसादन ७२७ प्रसिद्धतपस्वी ०सान्त्वना देना, धैर्य बंधाना। ०प्रसन्न करना, संतुष्ट करना। •तुष्ट करना, कल्याण करना, अनुग्रह करना। प्रसादन (वि०) [प्र+सद्+णिच्+ण्वुल] ०आनन्दित करने वाला, प्रसन्न करने वाला। ० धैर्य बंधाने वाला, विशुद्ध करने वाला। नम्र, प्रसन्नता। (जयो० ११/३५) प्रसादना (स्त्री०) शुद्धिकरण, पवित्रीकरण। सेवा, अर्चना। प्रसादविधि (स्त्री०) प्रसम्यता का भंडार। (जयो० १/१०५) प्रसादयितु [प्रसिद्+णिच्+तुमुन्] संतुष्ट करने के लिए। (वीरो०८/३५) प्रसादित (भू०क०कृ०) [प्रसिद्+णिच्+क्त] ०पवित्र किया हुआ, स्वच्छ किया हुआ। ०खुश किया हुआ, प्रसन्न किया हुआ। धीरज बंधाया हुआ, सान्त्वना दिया हुआ। प्रसादितमानस् (नपुं०) प्रसन्नता युक्त मन। (जयो० १/१०१) प्रसादिनी (स्त्री०) आनन्ददायिनी, हर्षप्रदायिनी। (वीरो० १/१) द्राक्षेव मृद्धी रसने हृदोऽपि प्रसादिनी नोऽस्तु मनाक् श्रमोऽपिप्रसाधक (वि०) [प्र+साध्+ण्वुल्] स्वच्छ करने वाला, शुद्ध करने वाला। पवित्र करने वाला। अलंकृत करने वाला, सजाने वाला। निष्पन्न करने वाला, पूर्ण करने वाला। प्रसाधकः (पुं०) पार्श्वचर। ०शृंगार करने वाला सेवक। प्रसाधनं (नपुं०) [प्र+साध ल्युट्] निष्पन्न करना, पूर्ण करना। व्यवस्थित करना, विभूषित करना, अलंकृत करना, अलंकरण करना। (जयो० १०/४३) प्रतिकर्म। (जयो०वृ० १०/३२) शरीर सज्जा, वस्त्राभूषण पहनना। (जयो० ३/१०५) प्रसाधनः (पुं०) कंघी। प्रसाधनविधिः (स्त्री०) शृंगार, सजावट। प्रसाधनविशेषः (पुं०) विशेष अलंकरण। प्रसाधनी (स्त्री०) कंघी। (जयो०वृ० १०/३२) प्रसाधिका (स्त्री०) [प्रसाधक+टाप् इत्वम्] सेविका, | अलंकरणिका। प्रसाधित (भू०क०कृ०) [प्र+साध्+क्त] निष्पन्न, पूर्ण, | कार्यान्वित। विभूषित, अलंकृत, सुसज्जित। (जयो०वृ० १०/३२) प्रसाद्य (सं०कृ०) अलंकृत्य, सजा करके। (जयो०वृ० १/३६) प्रसारः (पुं०) [प्र+सृ+घञ्] ०प्रसारण, विस्तार, फैलाव, प्रसूति। ०फैलाना, विस्तार करना। बिछावन। ०छाया (सुद० १३२) आसार (जयो० ६/५१) परिणाम-'कान्त्याः परिणामः प्रसारो यत्र' (जयो०७० ५/२६) प्रसारणं (नपुं०) ०प्रचारण। प्रचारणा मुहुर्मुहुः प्रकटीकरणं पक्षे क्रमशः प्रसारणं येषां ते। (जयो० ३/१७) विस्तार करना, फैलाना, प्रसारण। प्रसूति, उत्पत्ति। ईंधन और घास फैलाना। सम्प्रसारण भाव। प्रसारिणी (स्त्री०) [प्र+सृ+णिनि+ङीप्] शत्रु को घेरना। प्रसारित (भूक०कृ०) [प्र+सृ+णिच्+क्त] विस्तारित, प्रसृत किया गया। प्रसार किया गया, फैलाया गया। ०बढ़ाया हुआ। प्रदर्शित किया हुआ, रक्खा गया। प्रसार्यताम् फैलाया गया, देखा गया। (जयो० १३/३८) प्रसाहः (पुं०) [प्र+सह्+घञ्] जीत लेना, पराजित करना। प्रसित (भू०क०कृ०) [प्र+सि+क्त] संलग्न, व्यस्त। ०लालायित, इच्छुक। •तुला हुआ, संलग्न। ०बांधा हुआ, कसा हुआ। प्रसितं (नपुं०) पीव, मवाद। प्रसिति (स्त्री०) [प्र+सि+क्तिन्] ०जाल, घेरा। ०पट्टी, बंधन। प्रसिद्ध (भू०क०कृ०) [प्र+सिध्+क्त] विश्रुत, विख्यात। अलंकृत, सुसज्जित, विभूषित। 'प्रकर्षण सिद्ध सिद्धिमापन्नं तत्तस्मादेव दिव्यस्य' (जयोवृ० १/३४) प्रसिद्धा न तु विबुधस्य सिद्धिरनेकान्तस्य। (सुद०९१) प्रसिद्धगोत्र (वि०) ख्यातवंश, उत्कृष्टता को प्राप्त हुआ वंश। प्रसिद्धजाति (स्त्री०) ख्याति जाति। प्रसिद्धतपस्वी (वि०) तपस्या के लिए प्रसिद्ध हुआ। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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